Holika Dahan and Holi 2023 : Know Auspicious Time and Worship Method

6 या 7 को है होलिका दहन?… यहां दूर करें कन्फ्यूजन, जानें मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

6 या 7 को है होलिका दहन?... यहां दूर करें कन्फ्यूजन, जानें मुहूर्त : Holika Dahan and Holi 2023 : Know Auspicious Time, Worship Method

Edited By :   Modified Date:  February 28, 2023 / 04:20 PM IST, Published Date : February 28, 2023/4:20 pm IST

Holika Dahan Auspicious Time and Worship Method  रंगों का त्योहार यानि होली हिंदुओं के पुराने त्योहारों में से एक है। यह त्योहार सर्दी के खत्म होने के साथ व गर्मी की शुरुआत पर आता है। इस त्योहार हिंदू कैलेंडर का सबसे अंतिम त्योहार भी माना जाता है। लेकिन, इस बार होलिका दहन की तिथि को लेकर आम लोगों में ही नहीं, बल्कि पंडितों में भी मतभेद नज़र आ रहे हैं। अगर आप भी इसी कंफ्यूजन में हैं आज हम आपको बताएंगे की आखिर होली कब मनाई जाएगी।

Holika Dahan Auspicious Time and Worship Method इस बार होलिका दहन 07 मार्च को होगा और 8 मार्च को होली खेली जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि होलिका दहन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में की जाए तो सबसे शुभ होता है। इस दौरान भद्रा मुख को त्याग करके रात के समय होलिका दहन करना शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर होगी और इसका समापन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। भद्रा काल का समय 06 मार्च को शाम 04 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और 07 मार्च को सुबह 05 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा।

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यहां जानें होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन होली का पूजा के बाद जल अर्पित करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार अपने घर के किसी बड़े बुजुर्ग व्यक्ति से होलिका की अग्नि प्रज्वलित करवाएं। होलिका की अग्नि में फसल सेंके और मुमकिन हो तो इसे अगले दिन सपरिवार ग्रहण अवश्य करें। कहा जाता है होलिका दहन के दिन किया जाने वाला यह उपाय जो कोई भी व्यक्ति करता है उसके जीवन में निराशा और दुख का साया नहीं आता है। साथ ही उस व्यक्ति के परिवार के सभी लोग हमेशा रोगों से मुक्त स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीते हैं।

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पूजा में शामिल करें ये चीज

होलिका दहन की पूजा कुछ विशेष चीजों के बगैर बिल्कुल अधूरी मानी जाती है। इसलिए पूजा से पहले इन चीजों की व्यवस्था अवश्य कर लें। इसमें एक कटोरी पानी, गोबर के उपलों से बनी माला, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलावा, हल्दी का टुकड़ा, मूंग दाल, बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल साबुत अनाज आदि होने चाहिए।

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क्यों किया जाता है होलिका दहन

पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के अलावा किसी अन्य को नहीं मानता तो वह क्रुद्ध हो उठा। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गयी। भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

 
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