Bejod Bastar: Narayanpur becoming the hub of small millet, IBC24 did Respected...

Bejod Bastar: स्माल मिलेट का हब बनता जा रहा नारायणपुर, कभी होती थी सबसे पिछड़ों जिलों में गिनती, IBC 24 ने जिले के मावली स्वसहायता समूह को किया सम्मानित…

Bejod Bastar: स्माल मिलेट का हब बनता जा रहा नारायणपुर, कभी होती थी सबसे पिछड़ों जिलों में गिनती, IBC 24 ने जिले के मावली स्वसहायता समूह को किया सम्मानित...

Edited By :   Modified Date:  January 25, 2023 / 09:08 PM IST, Published Date : January 25, 2023/7:23 pm IST

नारायणपुर । प्रदेश की सबसे पिछड़े जिलों में से एक नारायणपुर शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं से निरंतर विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है इस दिशा में अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी नवीन प्रयोग हो रहे हैं शासन की नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना का लाभ स्थानीय लोगों को मिल रहा है और इसकी मिसाल बन चुका है नारायणपुर जिले का कोचवाही गांव जहां गौठान में संचालित मल्टी एक्टिविटी सेंटर में मावली स्वच्छता सानू देश के नामचीन ब्रांड की तरह अपने स्थानीय उत्पादों का न केवल प्रसंस्करण कर रही है बल्कि इसका विक्रय भी देश के अलग-अलग बड़े बाजारों तक किया जा रहा है । वो छत्तीसगढ़ देश में स्माल मिलेट का हब बनता जा रहा है और सरकार की इस योजना को साकार करने में बीते 4 सालों की कड़ी मेहनत और मुख्यमंत्री का वह विजन शामिल है। उनकी इस उपलब्धि के लिए IBC 24 ने उन्हें सम्मानित किया।

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जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आना शुरू हो चुका है फिर वह छत्तीसगढ़ के रायपुर के नजदीक गांव हो या फिर बस्तर अंचल के नारायणपुर जैसे जिले जिन्हें विकास की दिशा में सबसे पिछड़े जिलों में माना जाता था यहां निरंतर लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार और लघु मध्यम उद्योगों में काम करने का अवसर एवं प्रशिक्षण भी मिल रहा है इसी दिशा में नारायणपुर जिले में ग्राम कोच्छवाही में गौठान को मल्टी एक्टिविटी सेंटर में तब्दील किया गया है और यहां की मावली स्व सहायता समूह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्मॉल मिलेट आधरित फ़ूड प्रोडक्ट तैयार कर रहा है अपने खास उत्पादों के जरिए महज 3 महीनों में एक कंपनी ने ₹1000000 का कारोबार किया है और अगले 1 साल के भीतर इस समूह का कारोबार ₹2 करोड़ तक पहुंच जाएगा।

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महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजना यह है कि स्व सहायता समूह नहीं बल्कि मावली फूड पार्क के रूप में महिलाओं के स्वामित्व वाली कंपनी बनाई जाए वो 2 सुबह होते ही जहां रोजगार और मजदूरी की तलाश में गांव की महिलाएं शहरो की तरफ पलायन करती थी वहीं कुछ कोचवाही गांव की महिलाएं अब कोदो, कुटकी रागी, इमली ,महुआ की गुणवत्ता परखने का काम करती हैं गांव में ही मौजूद गौठान में वे सभी संसाधन सरकार के सहयोग से उपलब्ध करा दिए गए हैं जिससे इन स्माल मिलेट ही नही गांव के किसानों के जैविक उत्पाद को प्रसंस्करण कर उनकी मार्केटिंग की जा रही है गांव में प्राकृतिक तौर पर मिलने वाले इन उत्पादों की मांग राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक है और इसे ही ध्यान में रखते हुए इस मल्टी एक्टिविटी सेंटर में मावली फूड प्रोसेसिंग पार्क शुरू किया गया है जिसमें गांव की 200 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। वो फाइनल मावली यह स्थानीय देवी का नाम है।

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इसके पीछे की मंशा स्थानीय महिलाओं को सशक्त करने की है और हो भी ऐसा ही रहा है महिला स्व सहायता समूह राष्ट्रीय स्तर के बीच के ब्रांड की ही तरह रागी कोदो कुटकी महुआ इमली के बिस्किट कुकीज बना रहे हैं इसके अलावा गांव में प्राकृतिक रूप से मिलने वाली शहद जैविक चावल दाल और दूसरे उत्पाद भी इसी ब्रांड के नाम पर बिक रही है आने वाले समय में नारायणपुर और इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में मिलने वाले सभी स्थानीय उत्पादों के जरिए अलग-अलग नए प्रोडक्ट तैयार कर उन्हें बाजारों तक पहुंचाने की योजना है सरकार की इस पहल से कोचवाही गांव पूरी तरह से बदल गया है गांव की 80% महिलाएं इस मल्टी एक्टिविटी सेंटर में पहुंचती है।

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जिसका मुख्य आकर्षण फूड प्रोसेसिंग पार्क हैं इसके अलावा महिलाएं सीमेंट ब्रिक फेंसिंग सब्जी उत्पादन गोबर खरीदी जैसी गतिविधियों में भी लगातार सक्रिय हैं और मुनाफा कमाने की है गांव की स्थानीय स्तर पर एक नामी को बदलने के लिए मल्टी एक्टिविटी सेंटर देश भर में अपनी अलग पहचान बना रहा है और इसके पीछे गांव की मावली महिलाओं का हाथ है बीते साल में ही इस समूह ने करीब 40 लाख रुपए का कारोबार किया है जिसमे तीन महीनों में ही फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट ने 10 लाख का कारोबार किया है नई कंपनी के गठन के साथ इस संस्था का उत्पादन करोड़ों रुपए में पहुंच जाएगा।

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