Bejod Bastar: बस्तर। कोंडागांव जिला शिल्पकारी के क्षेत्र में ढोकरा शिल्प कला विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाए रखा है। बेल मेटल शिल्पकार ढोकरा शिल्प कला के क्षेत्र को विश्व स्तर पर पहचान दिलाए, तो वही कई अन्य शिल्पकार इस परंपरा को निरंतर गति दिए हुए हैं। एक आंकड़े की मानें तो कोंडागांव जिले में 2000 से अधिक कलाकार हैं जो शिल्प की क्षेत्र में कोंडागांव को शिल्प नगरी का दर्जा दिलाने में नींव का पत्थर साबित हो रहे हैं। इनमें केवल ढोकरा शिल्प कला के 800 से अधिक कलाकार हैं, जो आज भी पारंपरिक परिवेश में शिल्पकारी को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं।
एक ऐसा समय आया जब कोविड ने कलाकारों की कमर तोड़ कर रख दी। विश्व स्तर पर उत्पादन की मांग ना के बराबर हो जाने से कई कलाकार कला के क्षेत्र से अपना हाथ खींच कर मजदूरी के लिए पलायन कर लिए। इसबीच झितकु मिटकी समिति के अध्यक्ष ने सामाजिक सरोकार का परिचय देते हुए कलाकारों को फिर से बाजार उपलब्ध करवाया। कोंडागांव जिला के कलाकार मोम के सांचे में कला को पीतल डालकर जीवन में रंग भरने की कोशिश कर रहे हैं। इस संकट की घड़ी में केवल जीवन यापन ही नहीं कला को भी बचाए रखने के लिए झितकु मिटकी समिति बेहतर साबित हो रहा हैं।
जिला मुख्यालय कोंडागांव के भेलवापदर पारा निवासी राजेंद्र बघेल ढोकरा शिल्प कला परम्परागत पेशा में महारत हासिल हैं। उनके दादा परदादा भी इस कला में पारगत थे। जीविकोयार्जन का जरिया भी ढोकरा शिल्पकला रहा है। इस कला में महारत हासिल करने और कला की बारिकियों को सिखने और समझने के लिए ने शिल्प गुरु सानिहय मे 12-13 वर्षो तक रहकर और ढोकला शिल्प कला की सभी बारिकियों को समझा और सिखा।
इस कला मे पूर्ण तथा पारगत होने के बाद अब तक 300 से 350 लोगों को कला सिखा चूके हूँ। सभी इस कला मे पारगत हैं। कला को लेकर उन पर पर 4 डाक्यूमेन्ट्री फिल्म भी बन चुका है, इस कला के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरूस्कार, गोल्ड मेडल, कला निधि पुरूस्कार और भी अन्य सम्मान प्राप्त हो चुके है। भारत के पुरे महानगरो में आयोजित होने वाली शिल्प प्रदर्शनी और कर्मशाला में भाग लेकर ढोकला शिल्प कला को प्रदर्शन कर चुके है। देश से बाहर कला के प्रदर्शन के लिए अमेरिका, इंग्लैड, रूस, स्काउट लैण्ड में भी जा चुका हूं। बस्तर के साहित्यकारों द्वारा प्रकाशित होने वाले पुस्तको में भी उनके कार्यों के बारे में छप चुका है।
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शिल्प गुरूओं के कला को बाजार दिलाने के लिए देश के महानगरों में 3 शोरूम का निर्माण हो चुका है, और सुचारू रूप से चल रहा है। कारिगरों के सुविधा के लिए उचित मूल्य पर कच्चा माल की सुविधा केन्द्र की स्थापना करवाई गई है। आगे और प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में भी कोंडागांव के वन हस्तकला एंपोरियम झितकु मिटकी का संचालन 2012 से कर रहे हैं, जहां स्थानीय कलाकारों को बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है।