difference between Chaitra and Shardiya Navratri

Navratri 2023: साल में दो बार नवरात्र मनाने के पीछे है खास वजह, जानें दोनों के बीच क्या है अंतर

Navratri 2023 साल में दो बार क्यों मनाएं जाते हैं नवरात्र? जानें- क्या है चैत्र और शारदीय नवरात्रि के बीच अंतर

Edited By :   Modified Date:  October 7, 2023 / 12:46 PM IST, Published Date : October 7, 2023/12:46 pm IST

Navratri 2023: 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रही है। इन नौ दिनों में भक्तों देवारा माता रानी के अलग-अलग रुपों को पूजा जाता है। कई जगह इस दौरान गरबा और रामलीलाओं का भी आयोजन किया जाता है। नवरात्रि साल में दो बार बड़े धूमधाम और उल्लास के साथ मनाई जाती हैं- एक चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि।

Navratri 2023: पहली नवरात्री चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। वहीं, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं इसे साल में दो बार क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे क्या कारण है, तो आज आपको विस्तार से बताते है कि आखिर साल में दो बार क्यों मानाई जाती है नवरात्री।

साल में दो बार क्यों मनाई जाती हैं नवरात्री?

Navratri 2023: दोनों ही नवरात्र मौसमों के संक्रमण काल में आती है। यही वो समय है जब हम बीमार पड़ते हैं। इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने धार्मिक अनुष्ठान के साथ 9 दिन व्रत उपवास रखने का प्रावधान किया है। कहते हैं कि नौ दिनों तक अगर फलाहार करके उपवास कर लिया जाए तो शरीर से रोग-विकार निकल जाते हैं। यही नहीं, अगले 6 महीने तक शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए भी तैयार हो जाता है। इसके अलावा, धार्मिक अनुष्ठान से आत्मिक शुद्धि भी हो जाती है।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर

– Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि को शक्ति उपासना का प्रतीक माना जाता है तो वहीं चैत्र नवरात्रि सिद्धि प्राप्त करने के लिए विख्यात है।
– Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का संबंध जहां महिषासुर के संहार और राम द्वारा रावण वध से जुड़ा है। वहीं, चैत्र नवरात्रि में देवी की साधना की जाती है।
– Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि में दशमी के दिन रावण दहन कर दशहरा मनाया जाता है। वहीं, चैत्र नवरात्रि के नवमी पर राम जी के जन्म दिवस को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
– Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि गर्मी-बरसात के बाद सर्दी की शुरुआत का प्रतीक होता है। वहीं, चैत्र नवरात्रि अपने साथ सर्दी के बाद ग्रीष्म ऋतु लेकर आती है।

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