Himmat Singh Sinha: मशहूर दर्शनशास्त्री हिम्मत सिंह सिन्हा का निधन, इमरजेंसी का डटकर किया था विरोध

बता दें कि डॉ. सिन्हा ने लगभग 30 वर्षों तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति के दर्शन को पढ़ाया था। उन्हें हरियाणा उर्दू अकादमी पुरस्कार भी मिला था। उनका जन्म 1928 में यूपी के हसनपुर में हुआ था और उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से स्नातक और मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की थी।

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  • Publish Date - February 9, 2023 / 03:25 PM IST,
    Updated On - February 9, 2023 / 03:28 PM IST

Famous philosopher Himmat Singh Sinha passed away

Famous philosopher Himmat Singh Sinha passed away

कुरुक्षेत्र: विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के शोध निदेशक और भारतीय दर्शन के प्रकांड विद्वान डॉ. हिम्मत सिन्हा का निधन हो गया है। वह सभी विषयों के ज्ञाता के। डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा 94 वर्ष के थे। बुधवार को कुरुक्षेत्र में पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें ‘नाजिम’ के रूप में जाना जाता था।

बता दें कि डॉ. सिन्हा ने लगभग 30 वर्षों तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति के दर्शन को पढ़ाया था। उन्हें हरियाणा उर्दू अकादमी पुरस्कार भी मिला था। उनका जन्म 1928 में यूपी के हसनपुर में हुआ था और उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से स्नातक और मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की थी।

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श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रकांड विद्वान प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा की स्मृति में ट्राफी या पुरस्कार शुरू किया जाए। सभा के मुख्य सलाहकार, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के पूर्व सदस्य, कुवि कोर्ट के पूर्व सदस्य, नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष एवं कुवि छात्र संघ के पूर्व सचिव जयनारायण शर्मा एडवोकेट ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का आज जो स्वरूप है उसमें डॉ. सिन्हा की विशेष भूमिका रही।

यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र विभाग के रहे HOD

डॉ. हिम्मत सिन्हा लंबे अर्से तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय दर्शन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे और इसी के साथ-साथ युवा संस्कृति विभाग के निदेशक की जिम्मेदारी भी उन्होंने बखूबी निभाई। डॉ. सिन्हा भारतीय दर्शन के प्रकांड विद्वान, शिक्षाविद् होने के साथ-साथ रामचरित मानस के मर्मज्ञ ज्ञाता थे। वे भारत सरकार के सर्वोच्च संस्थान भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद के निरंतर चार वर्ष तक सदस्य रहे।

60 वर्ष पहले यूपी से हरियाणा आए

हरियाणा सरकार ने उन्हें कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का सदस्य भी बनाया था। लगभग 60 वर्ष पूर्व प्रो. सिन्हा ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आकर कुरुक्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया गीता का अपने जीवन में आत्मसात किया। वे ऐसे कर्मयोद्धा थे जिन्होने जीवनभर दूसरों के उत्थान के लिए कार्य किया। वे नगर की कई सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। लोकनायक जयप्रकाश के सहयोगी रहे डा. सिन्हा ने 1975 में इमरजेंसी का डटकर विरोध किया था।

अच्छी खासी थी फैन फॉलोइंग

डा. सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा के सहयोगी के रूप में कुरुक्षेत्र के विकास में अपना योगदान दिया। उन्हें हरियाणा सरकार के सर्वोच्च साहित्य संस्थान फख्र-ए-हरियाणा से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अलंकृत किया था। डॉ. सिन्हा को भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा पूर्व प्रधानमंत्री भारत सरकार के अभिनंदन ग्रंथ लिखने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ, जिसका विमोचन हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल ने किया था। उन्होंने लगभग 40 विभिन्न लेखकों की काव्य संग्रह, कहानी संग्रह, निबंध संग्रह आदि पुस्तकों पर प्रस्तावना लिखी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में इस प्रकांड विद्वान के निर्देशन में अनेक छात्रों ने शोध किया है।

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