योग भारतीय संस्कृति का एक ऐसा हिस्सा है लेकिन विडम्बना यह है कि इसे यहां के लोग कम और विदेश के लोग ज्यादा अपनाते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि योग का मतलब शरीर को टेढ़ा-मेढ़ा करने का दूसरा नाम है, तो आपको अपनी राय बदलने की जरूरत है।आज हम आपको बताएंगे योग का सबसे लोकप्रिय आसन अष्टांग योग के फायदे।
क्या है अष्टांग योग
अष्टांग योगा में शरीर के आठ अंगों से जमीन को स्पर्श करते हैं इसलिए इसे अष्टांग योगा कहते हैं। इस आसन में जमीन का स्पर्श करने वाले अंग चिन, चेस्ट, दोनों हाथ, दोनों घुटने और दोनों पैर हैं। इस आसन को करते वक्त इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पेट से शरीर का स्पर्श बिलकुल ही न होने पाए। अष्टांग आसन मुद्रा में टेबल मुद्रा, श्वान मुद्रा और सर्प मुद्रा के आसनों का अभ्यास किया जाता है। इस आसन को जमीन पर करने से पहले अपने घुटने के नीचे कंबल अथवा तौलिया मोडकर रख लीजिए इससे घुटने आरामदायक स्थिति में रहेंगे और आप ज्यादा देर तक योगा कर सकते हैं। अष्टांग योगा करने से पीठ और गर्दन में मौजूद तनाव दूर होता है और अष्टांग आसन को हर रोज करने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं और शरीर लचीला होता है।
ये भी पढ़ें –हिन्द महासागर में फंसे कमांडर अभिलाष के लिए किया गया रेस्क्यू आपरेशन सफल
अष्टांग योग के लाभ
फेफडों की कार्यक्षमता बढती है।
पीठ और गर्दन में मौजूद तनाव कम होता है।
इस योग को रोजाना करने से शरीर के सभी अंग मजबूत होते हैं।
इसके अभ्यास से शरीर को लचीला बनाया जा सकता है।
मोटापा आसानी से कम किया जा सकता है।
पाचन क्रिया अच्छी होती है और पेट संबंधित रोग नहीं होते हैं।
दिमाग तेज होता है और आदमी की उम्र भी बढती है।
अष्टांग योग के विभिन्न चरण
टेबल के समान दोनों हथेलियों और घुटनों पर शरीर को स्थापित कर दीजिए।
उसके बाद हाथ की कोहुनियों को हल्का मोडते हुए हाथ के साइड के हिस्से को थोडा नीचे झुकाएं।
फिर सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों के बीच चेस्ट को नीचे की तरफ झुकाइए।
गर्दन को आगे की ओर खींचते हुए चिन को जमीन से लगाइए।
हांथों को कंधे से नीचे झुकाते हुए पीछे की ओर ले जाइए।
पैर की उंगलियों को मोड़कर तलवे के ऊपरी भाग को जमीन से छूने दीजिए।
कूल्हों को ऊपर की दिशा में उठाते हुए रीढ की हड्डियों को सीधा रखिए।
इसके बाद इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेंड तक बने रहिए।
वेब डेस्क IBC24
Health Tips: अगर आपके शरीर में हो रहे हैं ये…
2 weeks ago