Who is Teesta Setalvad?, who raised questions on the Supreme Court's

कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़?, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया था सवाल, गुजरात दंगों को लेकर लगे हैं इस तरह के आरोप

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Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : June 25, 2022/10:52 pm IST

नई दिल्ली । गुजरात एटीएस की टीम ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिया है। तीस्ता को सांताक्रूज पुलिस स्टेशन में पेश करने के बाद एसटीएस की टीम अहमदाबाद लेकर रवाना हो गई। गुजरात दंगा 2002 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका खारिज की और तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ की जांच की और जरूरत बताई। जिसके बाद एटीएस की टीम एक्शन में आई और तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ कार्रवाई की। गृहमंत्री शाह ने एक साक्षात्कार के दौरान तीस्ता पर अपने एनजीओ की मदद से गुजरात दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी देने का आरोप लगाया। जिसके बाद से तीस्ता सीतलवाड़ अचानक चर्चे में आ गई। इस खबर में हम तीस्ता सीतलवाड़ और उनसे जुड़े मामलें के बारें में विस्तार से चर्चा करेंगे।

 

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कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़?

गुजरात दंगों के पीड़ितों की वकालत करने साल 2002 में सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस नाम की एक एनजीओ बनाई गई थी। तीस्ता सीतलवाड़ इसी एनजीओ की सचिव हैं। सीजेपी साल 2002 में हुई गुजरात दंगे में कथित संलिप्तता के लिए नरेंद्र मोदी और कई अन्य राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग कर रही है। जिस पर लंबे समय से बहस चल रही थी। तीस्ता सीतलवाड़ अपनी संस्था सीजेपी के जरिए लगातार नरेंद्र मोदी सहित अन्य राजनेता पर कार्रवाई करने की मांग कर रही थी। लेकिन जब 24 जून 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी। इस फैसले के बाद से तीस्ता सीतलवाड़ लगातार नरेंद्र मोदी को क्लीन चीट मिलने का विरोध कर रही थी।

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तीस्ता सीतलवाड़ पर लगे है ये गंभीर आरोप

तीस्ता के खिलाफ एक और आरोप यह है कि उन्होंने विदेशी मुद्रा कानूनों का उल्लंघन किया और 2009 में यूएस-आधारित फोर्ड फाउंडेशन द्वारा अपने एनजीओ को दान किए गए धन का दुरुपयोग किया। गौरतलब है कि गुजरात एटीएस ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ मुंबई स्थित सांताक्रूज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। जिसमें उन पर आईपीसी की धारा 468 और 471 के तहत जालसाजी का आरोप लगाया गया है। एटीएस अधिकारी जैस्मीन रोजिया ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को सांताक्रूज पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें अहमदाबाद शहर के पुलिस थाने ले जाया जाएगा। एटीएस अधिकारी के मुताबिक, उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है, केवल हिरासत में लिया गया है।

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इसके अलावा तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने 2007 से बड़े पैमाने पर धन संग्रह अभियान शुरू करके दंगा पीड़ितों के नाम पर 6 करोड़ रुपये से 7 करोड़ रुपये तक की धनराशि एकत्र करके धोखाधड़ी को अंजाम दिया। अदालत में यह आरोप लगाया गया था कि दान के माध्यम से जुटाए गए इन फंडों को युगल द्वारा शराब और विशिष्ट उपभोग के अन्य लेखों पर खर्च किया।

 

 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया था सवाल

2002 में हुए गुजरात दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी की तरफ से क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ याचिका खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर टिप्प्णी करते हुए तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा था कि, जकिया जाफरी मामले में फैसला सुनाया गया और ठीक दो मिनट में निर्णय आ गया। 8 फरवरी, 2012 की एसआईटी रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय ने पूरी तरह से स्वीकार कर लिया है। 15 अप्रैल, 2013 को दाखिल विरोध याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कानून के शासन का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, और इसलिए अपील खारिज कर दी गई है। सीतलवाड़ ने पूरी कानूनी लड़ाई के दौरान जकिया जाफरी का समर्थन किया।

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तीस्ता ने दी ये सफाई

सीबीआई ने जुलाई में तीस्ता, जावेद आनंद और उनके एक सहयोगी ग़ुलाम मोहम्मद के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की। सीबीआई ने उनके दफ़्तर और घर की तलाशी भी ली। इस बीच, अहमदाबाद पुलिस ने भी उनको गिरफ़्तार करने की कोशिश की लेकिन तीस्ता और जावेद को अब तक अदालत से राहत मिलती रही है। तीस्ता और जावेद आनंद ने एक बयान जारी कर सभी आरोपों को ख़ारिज किया है।बयान में कहा गया है, ”हम लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है जो कि हमारी राय में द्वेषपूर्ण और प्रायोजित हैं। एफ़आईआर में कहा गया है कि हमने गुलबर्ग मेमोरियल के लिए पैसे जमा किए थे।

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चार लाख 60 हज़ार की ये रक़म अब भी रखी है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट को हम पूरा नहीं कर सके। बयान में आगे लिखा है, “आज तक 24 हज़ार पन्नों के सबूत देने के बावजूद हमारे ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाख़िल नहीं किए गए हैं।गुजरात सरकार केवल इस बात में इच्छुक दिखती है कि वो हमें किस तरह से लोगों के बीच अपमानित करे और हिरासत में लेकर पूछताछ करे। दोनों का आरोप है कि सीबीआई और गुजरात पुलिस के केस केवल उन्हें क़ानूनी पचड़ों में फंसाए रखने के लिए हैं ताकि इस सरकार की विचारधारा को चुनौती देने के हमारे प्रयासों को नुक़सान पहुंचाया जा सके।

 

 

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दिसंबर 2021 से हो रही सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने पहले 9 दिसंबर 2021 को जाकिया जाफरी की याचिका पर मैराथन सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। गुजरात दंगों की जांच के लिए बनी एसआईटी ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे अब के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी।

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ATS ने कसा तीस्ता सीतलवाड़ पर शिकंजा

गुजरात में 2002 में हुए दंगे के मामले में गुजरात ATS ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व DGP आरबी श्रीकुमार को हिरासत में ले लिया है। सीतलवाड़ को उनके मुंबई के घर से हिरासत में लिया गया। उन्हें सांताक्रूज पुलिस स्टेशन लाया गया है। इसके बाद गुजरात ATS उन्हें अहमदाबाद ले जाने की तैयारी कर रही है। कल यानी रविवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

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गुजरात दंगों के मामले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व IPS संजीव भट्ट और गुजरात के पूर्व DGP आरबी श्रीकुमार के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाकर साजिश रचने का मामला दर्ज किया है। संजीव भट्ट पहले से जेल में हैं, जबकि तीस्ता और श्रीकुमार को अब हिरासत में लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, गुजरात पुलिस ने तीस्ता के खिलाफ शनिवार को ही FIR दर्ज की है।

 

 

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सरकार को बदनाम करने की साजिश का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में ज़किया जाफरी की याचिका खारिज होने और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बादके गुजरात एटीएस ने तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिया था और फिर बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने नए सिरे से FIR की है जिसमे बताया गया है की गुजरात को बदनाम किया गया सरकार के खिकाफ साजिश की गयी और तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को बदनाम किया गया।

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ऐसा करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गये, अब तीस्ता को बताना होगा कि ये फर्जी दस्तावेज किसके कहने पर कहा से कैसे किसके साथ मिलकर बनाया गया। तीस्ता को बताना होगा की सरकार को बदनाम करने केपीछे की साजिश क्या थी ,ये भी बताना होगा की तीस्ता के पिछे कौन लोग थे ,,इस बात का इशारा सुप्रीम कोर्ट ने भी किया है कि जान बूझकर दूसरे के इशारे पर तीस्ता ने ये सब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ पर और जांच की जरूरत बताई थी।

 

 

 

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अपने हित के लिए तीस्ता ने चीजों को गढ़ा

कोर्ट ने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ इसीलिए इस मामले में लगातार घुसी रहीं, क्योंकि जकिया अहसान जाफरी इस पूरे मामले में असली पीड़ित हैं। तीस्ता अपने हिसाब से उनको इस मुकदमे में मदद करने के बहाने उनको नियंत्रित कर रही थीं। जबकि वो अपने हित साधने की गरज से बदले की भावना रखते हुए इस मुकदमे में न केवल दिलचस्पी ले रही थीं बल्कि अपने मनमुताबिक चीजें भी गढ़ रही थीं। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया था।

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आईपीसी की इन छह धाराओं में दर्ज हुआ केस

1. 468 IPC – धोखाधड़ी के लिए के लिए जाली कागजातों का इस्तेमाल करना
2. 471 IPC – जानबूझकर जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड गढ़कर असली के तौर पर इस्तेमाल करना
3. 194 IPC – मृत्यु से दंडनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के आशय से झूठे सबूत देना या गढ़ना
4. 211 IPC – नुकसान करने के लिए झूठा आरोप लगाना
5. 218 IPC – लोक सेवक होते हुए रिकॉर्ड की गलत रचना करना जिससे किसी व्यक्ति का नुकसान हो सके
6. 120 B – आपराधिक साजिश रचना