Delhi High Court/Image Source: IBC24
नई दिल्ली: Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अपने आप में कोई आपराधिक कृत्य नहीं है लेकिन इसके गंभीर सामाजिक और भावनात्मक परिणाम हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का विवाह किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के कारण टूटता है, तो पीड़ित पति या पत्नी उस व्यक्ति से मुआवजे की मांग कर सकता है जिसने उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप किया।
यह टिप्पणी जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की एकल पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दी जिसमें एक महिला ने अपने पति की प्रेमिका से मुआवजे की मांग की थी। महिला ने आरोप लगाया कि पति की प्रेमिका के कारण उसका वैवाहिक जीवन टूट गया और उसे गहरा भावनात्मक नुकसान पहुंचा है। याचिकाकर्ता महिला ने बताया कि उसकी शादी 2012 में हुई थी और 2018 में उसके जुड़वां बच्चे हुए। 2021 में पति के व्यवसाय में एक दूसरी महिला शामिल हुई, जिसके बाद पति का व्यवहार बदलने लगा। आरोप है कि पति बार-बार उस महिला के साथ यात्राएं करने लगा और दोनों सार्वजनिक स्थलों पर भी साथ देखे गए। परिवार द्वारा समझाने के बावजूद यह संबंध जारी रहा। आखिरकार पति ने तलाक की अर्जी दाखिल कर दी।
Delhi High Court: इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पति की प्रेमिका से मुआवजा मांगा। उसने दावा किया कि उसकी शादी टूटने की मुख्य वजह वह महिला है, जिसने जानबूझकर पति के साथ अवैध संबंध बनाए। पति और उसकी कथित प्रेमिका ने याचिका को चुनौती देते हुए कहा कि इस तरह के मामले की सुनवाई फैमिली कोर्ट में होनी चाहिए न कि हाईकोर्ट में। कोर्ट ने इस पर स्पष्ट किया कि यह मामला फैमिली लॉ नहीं बल्कि सिविल लॉ से संबंधित है और इसमें एलियनशन ऑफ अफेक्शन का दावा बनता है यानी किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा पति-पत्नी के बीच भावनात्मक संबंध को तोड़ना। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के जोसेफ शाइन बनाम भारत सरकार वाले ऐतिहासिक फैसले का भी जिक्र किया जिसमें व्यभिचार को भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत अपराध मानने की व्यवस्था को असंवैधानिक करार दिया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह निर्णय एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को सामाजिक रूप से स्वीकृति नहीं देता।