Owaisi on Bihar Voter List Revision : बिहार में गुप्त तरीके से NRC लागू कर रहा EC ! वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर ओवैसी का बड़ा बयान

Owaisi on Bihar Voter List Revision: ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा कि "निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहाँ पैदा हुए थे

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  • Publish Date - June 27, 2025 / 08:46 PM IST,
    Updated On - June 27, 2025 / 08:46 PM IST

Owaisi on NRC, image source: ANI

HIGHLIGHTS
  • जन्म की तारीख \जन्म स्थान दिखाने वाला देना होगा दस्तावेज़ 
  • ECI एक महीने में घर-घर जाकर इकट्ठा करना चाहता है जानकारी

नई दिल्ली: Owaisi on NRC , बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची में गहन पुनरीक्षण के प्रस्ताव का जमकर विरोध हो रहा है। अब हैदराबाद से सांसद और AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका विरोध किया है और इसे बिहार के गरीब, पिछड़े लोगों के लिए क्रूर मजाक बताया है।

दरअसल, सबसे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध किया था और इसे NRC लागू करने जैसा बताया था। उसके बाद तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले पर हमला बोला है।

Owaisi on Bihar Voter List Revision ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा कि “निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहाँ पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं। ज़्यादातर सरकारी कागज़ों में भारी ग़लतियाँ होती हैं।” जो लोग मुश्किल से दो बार खा पाते हैं, वो कागजात कहां से लाएंगे?

उन्होंने आगे लिखा है, “बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे ग़रीब हैं; वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज़ होंगे, एक क्रूर मज़ाक़ है। इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के ग़रीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा। वोटर लिस्ट में अपना नाम भर्ती करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ही ऐसी मनमानी प्रक्रियाओं पर सख़्त सवाल उठाए थे। चुनाव के इतने क़रीब इस तरह की कार्रवाई शुरू करने से लोगों का निर्वाचन आयोग पर भरोसा कमज़ोर हो जाएगा।”

जन्म की तारीख \जन्म स्थान दिखाने वाला देना होगा दस्तावेज़

उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि ”अगर आपकी जन्मतिथि जुलाई 1987 से पहले की है, तो आपको जन्म की तारीख और/या जन्म स्थान दिखाने वाला कोई एक दस्तावेज़ देना होगा (11 में से एक)।

अगर आपका जन्म 01.07.1987 और 02.12.2004 के बीच हुआ है, तो आपको अपना जन्म प्रमाण (तारीख और स्थान) दिखाने वाला एक दस्तावेज़ देना होगा, और साथ ही अपने माता या पिता में से किसी एक की जन्म तारीख और जन्म स्थान का दस्तावेज़ भी देना होगा।

अगर आपका जन्म 02.12.2004 के बाद हुआ है, तो आपको अपनी जन्म तारीख और स्थान के दस्तावेज़ के साथ-साथ, दोनों माता-पिता के जन्म की तारीख और स्थान को साबित करने वाले दस्तावेज़ भी देने होंगे। अगर माता या पिता में से कोई भारतीय नागरिक नहीं है, तो उस समय के उनका पासपोर्ट और वीज़ा भी देना होगा।

ECI एक महीने में घर-घर जाकर इकट्ठा करना चाहता है जानकारी

चुनाव आयोग (ECI) हर वोटर की जानकारी एक महीने (जून-जुलाई) में घर-घर जाकर इकट्ठा करना चाहता है। बिहार जैसे राज्य, जो बहुत बड़ी आबादी और कम कनेक्टिविटी वाला है, वहां इस तरह की प्रक्रिया को निष्पक्ष तरीके से करना लगभग असंभव है।

लाल बाबू हुसैन केस (1995) में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि किसी व्यक्ति को, जो पहले से वोटर लिस्ट में दर्ज है, बिना सूचना और उचित प्रक्रिया के हटाया नहीं जा सकता। ये चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह दिखाए कि किसी व्यक्ति को विदेशी क्यों माना जा रहा है। सबसे अहम बात, कोर्ट ने ये भी कहा कि नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज़ों की एक सीमित सूची नहीं हो सकती—हर तरह के सबूत को स्वीकार किया जाना चाहिए।

बता दें कि दो दिन पहले ही निर्वाचन आयोग की तरफ से कहा गया था कि बिहार के बाद, इस वर्ष के अंत तक उन पांच राज्यों में भी मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा, जहां 2026 में चुनाव होने हैं। ताकि “मतदाता सूचियों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन” किया जा सके। गहन समीक्षा के तहत, चुनाव अधिकारी त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे।

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क्या बिहार में NRC जैसी कोई प्रक्रिया शुरू की जा रही है?

उत्तर: निर्वाचन आयोग (ECI) ने आधिकारिक रूप से NRC लागू नहीं किया है। लेकिन विपक्षी नेता—जैसे ममता बनर्जी और असदुद्दीन ओवैसी—का कहना है कि दस्तावेज़ों की मांग और प्रक्रिया NRC जैसी ही है, जहां नागरिकों को अपने और अपने माता-पिता के जन्म की तारीख व स्थान जैसे दस्तावेज़ दिखाने होंगे। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि यह छिपे रूप में NRC जैसी प्रक्रिया हो सकती है।

मतदाता सूची के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ देने होंगे?

उत्तर: निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, व्यक्ति की जन्मतिथि के आधार पर अलग-अलग दस्तावेज़ मांगे जाएंगे: जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोग: जन्म की तारीख/स्थान वाला कोई एक दस्तावेज़। 01.07.1987 – 02.12.2004: व्यक्ति का जन्म प्रमाण + माता/पिता में से एक का जन्म प्रमाण। 02.12.2004 के बाद जन्मे: व्यक्ति का जन्म प्रमाण + दोनों माता-पिता के जन्म प्रमाण। यदि माता-पिता में से कोई भारतीय नागरिक नहीं है, तो उस समय का पासपोर्ट और वीज़ा भी देना होगा।

इस प्रक्रिया का गरीब और पिछड़े वर्गों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

उत्तर: ओवैसी और अन्य नेताओं का मानना है कि यह प्रक्रिया गरीब, पिछड़े और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बहुत कठिन होगी, क्योंकि: उनके पास अक्सर जन्म या नागरिकता के पर्याप्त दस्तावेज़ नहीं होते। बहुत से लोग अनौपचारिक कामकाज और असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में कागज़ात खो जाते हैं। इससे इन वर्गों के वोटर लिस्ट से बाहर होने का खतरा है।