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MadhyaPradesh News: भोपाल: छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से हुई मासूम बच्चों की मौत के बाद पूरे मध्य प्रदेश में हड़कंप मच गया है। इस दर्दनाक घटना ने न सिर्फ पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया, बल्कि सरकारी महकमे को भी नींद से जगा दिया है। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार और फार्मेसी नियामक एजेंसियां प्रदेश भर में मेडिकल स्टोर्स और दवा बिक्री की व्यवस्था को लेकर बेहद सख्त हो गई हैं।
प्रदेश में हज़ारों ऐसे मेडिकल स्टोर हैं जो बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति के दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। अब इस लापरवाही पर पूरी तरह से रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल, भोपाल ने सभी मेडिकल स्टोर्स, अस्पतालों और फार्मेसी संस्थानों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी गैर-पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दवाओं का वितरण, भंडारण या बिक्री करना कानूनन अपराध होगा।
MadhyaPradesh News: काउंसिल द्वारा जारी आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 के तहत सिर्फ पंजीकृत फार्मासिस्ट ही दवाओं की बिक्री या वितरण कर सकता है। किसी भी व्यक्ति द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन के दवा बेचते हुए पाए जाने पर दो लाख रुपये तक जुर्माना या तीन महीने तक की सजा हो सकती है।
यह निर्देश भारत सरकार के पत्र क्रमांक 19-1/2023-PCI/3854-56 (दिनांक 25 अक्टूबर 2023) के आधार पर जारी किया गया है।
काउंसिल ने किया बड़ा खुलासा
MadhyaPradesh News: इसके साथ ही काउंसिल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी फार्मासिस्ट एक समय में एक ही संस्था में पंजीकृत रह सकता है। यदि कोई फार्मासिस्ट दो जगह काम करता पाया गया, तो उसका पंजीकरण तत्काल रद्द कर दिया जाएगा।
इस पूरी मुहिम की शुरुआत एमपी फार्मासिस्ट एसोसिएशन की ओर से हुई थी। महासचिव अखिलेश त्रिपाठी द्वारा 27 सितंबर को राज्य फार्मेसी काउंसिल को पत्र भेजा गया था जिसमें प्रदेश भर में बिना फार्मासिस्ट के चल रहे मेडिकल स्टोर्स की जानकारी दी गई थी।
जिलेवार जांच शुरू, ड्रग इंस्पेक्टर्स को निर्देश
MadhyaPradesh News: काउंसिल ने आदेश की प्रतियाँ उपमुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं और दवा प्रशासन विभाग को भेज दी हैं ताकि पूरे राज्य में सख्ती से पालन हो। साथ ही ड्रग इंस्पेक्टर्स को जिलेवार जांच शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं।