steel water jug purchase controversy , image source: ibc24
बलौदा बाजार: CG News , आदिवासी विकास विभाग के खिलाफ ₹51,99,920.00 रुपए की स्टील वाटर जग खरीदी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक रसीद वायरल करते हुए इसे कथित “भ्रष्टाचार का घिनौना उदाहरण” बताया। जिसके बाद आज BJP सोशल मीडिया सह संयोजक मितुल कोठारी ने इस मामले में थाने में शिकायत की है। PCC दीपक बैज पर कानूनी कार्रवाई करने सिविल लाइन थाने में शिकायत की गई है।
दरअसल, यह पूरा मामला आदिवासी छात्रावासों में 160 वाटर जग की अत्यधिक मूल्य पर खरीदी को लेकर है। लेकिन अब इस विवाद का आधिकारिक दस्तावेज सामने आया है। इसमें आरोप लगने के बाद संबंधित विभाग ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए प्रस्ताव निरस्त होने की पुष्टि की है।
दस्तावेज GeM पोर्टल से संबंधित हैं, जिसमें साफ-साफ उल्लेख है कि खरीदार का नाम हेमलाल कमर है और उसका कांट्रैक्ट नंबर जीईएमसी – 511687731515638 है। सप्लायर्स को 9 जनवरी 2025 को दोपहर करीब 1 बजे दी गई। खरीदी के लिए कुल 160 स्टील जग की खऱीदी होनी थी, इसके लिए ₹51,99,920.00 भुगतान होना था। दस्तावेज यह बताते हैं कि यह एक प्रस्तावित और स्वीकृत ऑर्डर था, जिसे बाद में विक्रेता द्वारा अस्वीकार कर दिया गया और पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी गई।
steel water jug purchase controversy, जग खरीदी के आर्डर और उसके निरस्त होने पर कांग्रेस ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट लिखा है। कांग्रेस ने लिखा है कि ये कोई वर्ल्ड कप नहीं है। मात्र एक स्टील जग की कीमत 32 हजार रुपए है। 160 पीस स्टील जग की खरीदी के लिए करीब 52 लाख रुपए का आर्डर बेशर्मी है, आदिवासी बच्चों के पैसों को भी नहीं छोड़ा। कांग्रेस ने कथित दस्तावेजों के आधार पर सरकार पर हमला बोला और उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
जिसके बाद आदिवासी विकास विभाग बलौदा बाजार के सहायक आयुक्त सूरजदास मानिकपुरी ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि “160 नग वाटर जग की खरीदी का प्रस्ताव फरवरी 2025 में तत्कालीन सहायक आयुक्त संजय कुर्रे द्वारा जेम पोर्टल पर डाला गया था, लेकिन दर अधिक होने के कारण 23 फरवरी को यह प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया। इसके बाद कोई खरीदी नहीं हुई”। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भुगतान नहीं हुआ है, न ही किसी फर्म को ऑर्डर दिया गया है। विभाग ने सोशल मीडिया में वायरल हो रही जानकारी को भ्रामक और असत्य करार दिया है।
आरोप है कि सोशल मीडिया में आधी जानकारी के साथ दस्तावेज वायरल होने पर जनता को गुमराह किया जा सकता है, हालांकि विपक्ष की भूमिका जांच की मांग तक सीमित है, लेकिन विभाग की ओर से रिकॉर्ड के साथ दी गई सफाई ने स्थिति को स्पष्ट कर दिया है।
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