Tulsi Vivah Upay: शादी में हो रही देरी? तुलसी विवाह के दिन इन चमत्कारी उपायों से खोलें सौभाग्य का द्वार, अविवाहितों के लिए शीघ्र विवाह योग

2025 में तुलसी विवाह का पर्व 2 नवंबर को कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाएगा। यदि विवाह में किसी न किसी कारणवश हो रही है देरी? तो तुलसी पूजन पर करें ये अचूक उपाय..

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  • Publish Date - October 29, 2025 / 06:41 PM IST,
    Updated On - October 29, 2025 / 06:41 PM IST

Tulsi Vivah 2025 Upay

Tulsi Vivah Upay: कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) के बाद तुलसी विवाह का पवित्र पर्व आता है। यह वह दिन है जब भगवान विष्णु चार माह की निद्रा से जागते हैं, और तुलसी जी (वृंदा) का शालिग्राम जी (विष्णु स्वरूप) से विवाह संपन्न होता है। जिसमें तुलसी नामक पौधे का विवाह शालीग्राम अथवा विष्णु अथवा उनके अवतार कृष्ण के साथ किया जाता है। हिन्दू धर्म में इसे मानसून का अन्त और विवाह के लिये उपयुक्त समय के रूप में माना जाता है।

2025 में यह पर्व 2 नवंबर को कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाएगा।

“लड़की अच्छी है, लड़का भी तैयार है, लेकिन बात हर बार अटक जाती है…”? यदि आपके या आपके परिवार में विवाह में रुकावट आ रही है, तो तुलसी विवाह सबसे शक्तिशाली उपाय है। यह विवाह करने से मंगल दोष, पितृदोष, शुक्र-बृहस्पति कमजोर, कुंडली में विवाह योग न होना आदि, सभी बाधाएं दूर होती हैं।

तुलसी विवाह कोई रस्म नहीं – विवाह बाधा निवारण का दिव्य मंत्र है।
तुलसी = लक्ष्मी, शालिग्राम = विष्णु। उनका विवाह लक्ष्मी-नारायण का मिलन है, जो सौभाग्य और वैवाहिक सुख लाता है। वृंदा (तुलसी) की पतिव्रता शक्ति से यह उपाय अविवाहितों के लिए शीघ्र विवाह और विवाहितों के लिए सौभाग्य देता है। आईये आपको बताते हैं कि तुलसी पूजा के दौरान क्या करें?

Tulsi Vivah Upay: तुलसी विवाह 2025 शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगा. ऐसे में इस साल 02 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा।
यह वह पवित्र अवसर है जब तुलसी जी (वृंदा/लक्ष्मी) का शालिग्राम जी (विष्णु स्वरूप) से विवाह होता है, जो देवउठनी एकादशी के बाद आता है। पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज जालंधर की पतिव्रता पत्नी वृंदा ने जब विष्णु जी को पत्थर बनने का श्राप दिया, तो विष्णु जी ने वरदान दिया कि “तुम तुलसी बनकर मेरी पूजा में सदा रहोगी, और बिना तुम्हारे मेरी पूजा अधूरी होगी”। यही कारण है कि तुलसी-शालिग्राम के विवाह एवं पतिव्रता, शक्ति का सम्मान और विष्णु-लक्ष्मी जी के मिलन का प्रतीक है।

Tulsi Vivah Upay: तुलसी विवाह की पूजा विधि

घर के आंगन, बालकनी या पूजा स्थल पर तुलसी के पौधे को स्थापित करें, रंगोली बनाकर, ४ गन्ने की छड़ी से सुंदर मंडप सजाएं, लाल कपड़ा बांधें। तुलसी माता को चूड़ी, चुनरी, साड़ी और अन्य शृंगार सामग्री अर्पित कर दुल्हन की तरह सजाएं. शालिग्राम को पीले कपड़े, मुकुट, जनेऊ से दूल्हा रूप दें। शालिग्राम को तुलसी के पौधे के दाहिनी ओर स्थापित करें, तुलसी जी को दूध-गंगाजल से स्नान कराएं, शालिग्राम को पंचामृत से स्नान करवाएं। शालिग्राम को चंदन और तुलसी माता को रोली का तिलक लगाएं। उन्हें फूल, मिठाई, गन्ने, पंचामृत, सिंघाड़े आदि भोग के रूप में अर्पित करें। धूप और दीप जलाएं। शालिग्राम पर चावल नहीं चढ़ाते, इसलिए उनके ऊपर तिल या सफेद चंदन चढ़ाएं।
विधिपूर्वक मंत्रोच्चार के साथ तुलसी माता और शालिग्राम भगवान के सात फेरे कराए जाते हैं। 7 परिक्रमा (फेरे) करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” बोलें, फिर तुलसी पर सिंदूर लगाएं, मंगलसूत्र बांधें। पूरी वैवाहिक तरीके से मंत्रोच्चारण के साथ पूजा को संपन्न किया जाता है अंत में विवाह की आरती करें, खीर, पूरी, चने का भोग लगाएं और प्रसाद सभी में बाँट दें।

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