Reported By: Hiten Chauhan
,Balaghat Village Road | Image Source | IBC24
बालाघाट: Balaghat Village Road: जिले के दूरस्थ और संवेदनशील क्षेत्र खैरलांजी गांव की यह कहानी उन सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए आईना है जो चुनावों के बाद अपने वादे भूल जाते हैं। 13 वर्षों तक गुहार लगाने के बाद, जब न सरकार ने सुना और न ही सिस्टम ने कोई पहल की तो ग्रामीणों ने खुद ही अपने श्रम से सड़क बना दी। अब गांववाले कह रहे हैं कि उसी विधायक से इसका उद्घाटन करवाएंगे जिसने केवल आश्वासन ही दिया था।
Balaghat Village Road: यह तस्वीरें बालाघाट जिले के कटंगी विकासखंड अंतर्गत आने वाले खैरलांजी गांव की हैं, जहां वर्षों से पक्की सड़क की मांग की जा रही थी। ग्राम पंचायत आम्बेझरी के इस इलाके को तीन ओर से जंगल और एक ओर से पानी ने घेरा हुआ है। करीब 120 घरों की इस बस्ती तक न कोई पक्की सड़क थी न ही कोई सरकारी सुविधा। टाइगर मूवमेंट वाले इस क्षेत्र में बरसात के दिनों में रास्ते पूरी तरह से कट जाते थे। यहां तक कि एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती थी।
Balaghat Village Road: जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और प्रशासन की उदासीनता से त्रस्त ग्रामीणों ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की। बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं सभी ने मिलकर श्रमदान किया और उसी दुर्गम रास्ते पर सड़क बनाई जहाँ आज तक सरकार पहुँचने की हिम्मत नहीं कर सकी। ग्रामीण दिलीप कुमार का कहना है की हम सालों से चक्कर लगा रहे थे सरपंच, विधायक, सांसद सबके पास गए लेकिन मिला क्या? सिर्फ झूठे वादे। फिर सोचा अब खुद ही कुछ करना पड़ेगा। चार दिन में गांववालों ने मिलकर चंदा इकट्ठा किया मेहनत की और सड़क बना दी।
Balaghat Village Road: वहीं ग्रामीण सुरेंद्र भलावी ने बताया की दिसंबर 2024 में गांव में बाघ के हमले से एक व्यक्ति की मौत हुई थी। तब विधायक गौरव सिंह पारधी आए थे और बोले थे कि एक महीने में पक्की सड़क बनवाएंगे। लेकिन छह महीने बीत गए ना सड़क बनी ना वे लौटे। अब जो सड़क हमने बनाई है उसी का उद्घाटन उनसे ही करवाएंगे। गांव की महिलाओं ने कहा की हम महिलाओं ने भी पत्थर उठाए मिट्टी डाली, मेहनत की अपने बच्चों के लिए सुरक्षित रास्ता चाहिए था। अब अगर विधायक आएंगे तो उन्हें हमारी मेहनत को देखना ही पड़ेगा।
Balaghat Village Road: ग्रामीणों द्वारा बनाई गई यह सड़क केवल एक रास्ता नहीं बल्कि सरकार, सिस्टम, नेताओं और उनके खोखले चुनावी वादों पर एक बड़ा सवाल है। खैरलांजी की इस मिट्टी की सड़क पर जब कभी कोई नेता कदम रखेगा तो शायद उसे यह एहसास हो कि विकास केवल घोषणाओं से नहीं, ज़मीनी प्रयासों से होता है। जहाँ योजनाएं केवल कागज़ों में बनती हैं वहाँ खैरलांजी के ग्रामीणों ने साबित कर दिया कि जागरूक जनता बड़े से बड़ा बदलाव ला सकती है।