Betul News: सरकारी शिक्षक बना झोलाछाप डॉक्टर! स्कूल छोड़ क्लिनिक चलाकर आठ साल से कर रहा था इलाज, ऐसे हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Betul News: सरकारी शिक्षक बना झोलाछाप डॉक्टर! स्कूल छोड़ क्लिनिक चलाकर आठ साल से कर रहा था इलाज, ऐसे हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Betul News: सरकारी शिक्षक बना झोलाछाप डॉक्टर! स्कूल छोड़ क्लिनिक चलाकर आठ साल से कर रहा था इलाज, ऐसे हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Betul News/Image Source: IBC24

Modified Date: November 9, 2025 / 09:25 pm IST
Published Date: November 9, 2025 9:25 pm IST
HIGHLIGHTS
  • स्कूल की जगह क्लिनिक में मास्टर साहब
  • सरकारी शिक्षक के क्लिनिक पर छापा
  • बैतूल से चौंकाने वाला खुलासा

बैतूल: Betul News: देश में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार तो पहले से ही चिंता का विषय है लेकिन अब कहानी और भी चौंकाने वाली है। क्योंकि यहां इलाज का धंधा किसी डॉक्टर ने नहीं बल्कि एक सरकारी शिक्षक ने शुरू किया है। जी हां बैतूल ज़िले में एक ऐसा शिक्षक मिला है जो सरकार से वेतन तो शिक्षा देने का लेता है लेकिन असल में स्कूल की जगह क्लिनिक चलाता है, जहां वह रोज़ाना ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ कर रहा था। मामला है घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के चिखलपाटी गांव का। यहां रघुनाथ फौजदार जो कुंडीखेड़ा गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं उन्होंने अपने घर पर अवैध क्लिनिक खोल रखा था।

शिक्षक बना फर्जी डॉक्टर (Betul teacher doctor)

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब स्कूल समय में उनके घर पर छापा मारा तो रघुनाथ एक मरीज़ का इलाज करते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। जांच में टीम को भारी मात्रा में दवाइयां, इंजेक्शन, ड्रिप सेट और बायो-वेस्ट मिला। पूछताछ में रघुनाथ फौजदार ने खुद स्वीकार किया कि वह पिछले आठ सालों से इलाज कर रहे हैं, हालांकि उनके पास न कोई मेडिकल डिग्री है न पंजीकरण। ग्रामीणों का कहना है कि वे हर बीमारी का इलाज इन्हीं से करवाते हैं, क्योंकि गांव में कोई डॉक्टर नहीं है और रघुनाथ खुद को डॉक्टर बताकर दवा देते हैं। एक सरकारी शिक्षक जो बच्चों को पढ़ाना छोड़ इलाज का धंधा कर रहा है अगर उसके झोलाछाप इलाज से किसी की जान चली जाए तो ज़िम्मेदारी कौन लेगा? सरकार? शिक्षा विभाग? या फिर वह सिस्टम जो ऐसे मामलों पर आंख मूंद लेता है?

आठ साल से कर रहा था इलाज (Betul fake doctor case)

Betul News: स्वास्थ्य विभाग ने क्लिनिक से बरामद दवाइयों और उपकरणों की रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी है। मामला जांच के अधीन है, लेकिन अब तक निलंबन या गिरफ्तारी की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। याद कीजिए हाल ही में परासिया में डॉक्टर सोनी और ज्योति सोनी के कफ सिरप से 26 मासूम बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। अब बैतूल का यह मामला एक बार फिर प्रदेश के स्वास्थ्य और शिक्षा तंत्र की लापरवाही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। एक तरफ़ सरकार साक्षर भारत और स्वस्थ भारत के नारे देती है और दूसरी तरफ़ वही सिस्टम ऐसे झोलाछाप शिक्षक-डॉक्टरों को पनपने देता है। प्रश्न यह नहीं कि कार्रवाई कब होगी प्रश्न यह है कि कितनी और ज़िंदगियाँ इन झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज की भेंट चढ़ेंगी।

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लेखक के बारे में

टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।