भस्म आरती का गवाह बनने के लिए हर रोज महाकालेश्वर मंदिर में लगता है भक्तों का तांता |

भस्म आरती का गवाह बनने के लिए हर रोज महाकालेश्वर मंदिर में लगता है भक्तों का तांता

भस्म आरती का गवाह बनने के लिए हर रोज महाकालेश्वर मंदिर में लगता है भक्तों का तांता

:   Modified Date:  March 25, 2024 / 07:41 PM IST, Published Date : March 25, 2024/7:41 pm IST

इंदौर (मप्र), 25 मार्च (भाषा) होली के त्योहार पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में सोमवार सुबह जिस भस्म आरती के दौरान आग लगने की घटना घटी उसका (उस भस्म आरती का) बड़ा धार्मिक महत्व है।

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में एक है तथा इस मंदिर में प्रतिदिन तड़के की जाने वाली भस्म आरती का बड़ा धार्मिक महत्व है। इसका गवाह बनने के लिए देश-दुनिया के भक्त उज्जैन पहुंचते हैं।

शिव भक्तों में भस्म आरती के प्रति गहरी आस्था का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इस धार्मिक कर्मकांड के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में इस कदर भीड़ उमड़ती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती।

भस्म आरती के लिए हर रोज बड़ी तादाद में भक्त ऑनलाइन बुकिंग भी कराते हैं।

भोर में चार बजे शुरू होने वाली भस्म आरती के लिए रात एक बजे से महाकाल मंदिर परिसर में भक्तों की कतार लगनी शुरू हो जाती है क्योंकि वे गर्भगृह के ठीक सामने बैठकर भस्म आरती के दौरान महाकालेश्वर के अच्छे से दर्शन करना चाहते हैं।

भस्म आरती के दौरान केवल पुजारी गर्भगृह में मौजूद रहते हैं और किसी भी भक्त को इसमें दाखिल होने की अनुमति नहीं होती है।

जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि भस्म आरती के दौरान भस्म यानी राख से भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की आरती की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव को ‘श्मशान के साधक’ के रूप में भी देखा जाता है और भस्म को उनका ‘श्रृंगार’ भी कहा गया है।

जिस भस्म से महाकालेश्वर की आरती की जाती है, उसे गाय के गोबर से बने उपले को जलाकर तैयार किया जाता है। किंवदंतियों के मुताबिक वर्षों पहले महाकालेश्वर की आरती के लिए जिस भस्म का इस्तेमाल किया जाता था, वह श्मशान से लाई जाती थी। हालांकि, मंदिर के मौजूदा पुजारी इस बात को खारिज करते हैं।

भस्म आरती की प्रक्रिया करीब दो घण्टे चलती है। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाकालेश्वर का पूजन और श्रृंगार किया जाता है। प्रक्रिया के अंत में भगवान शिव को भस्म अर्पित करके उनकी आरती गाई जाती है। इस दौरान घण्टे-घड़ियालों के नाद और महाकाल की भक्ति में डूबे लोगों के सामूहिक स्वर में आरती गाने से माहौल बेहद भक्तिमय हो जाता है।

भाषा हर्ष

राजकुमार

राजकुमार

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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