मुस्लिम की बात..चुनाव की बिसात, क्या पीएम मोदी के दौरे से कांग्रेस में बेचैनी ?

मुस्लिम की बात..चुनाव की बिसात, क्या पीएम मोदी के दौरे से कांग्रेस में बेचैनी : Muslim's talk..Election board, is there uneasiness in Congress due

मुस्लिम की बात..चुनाव की बिसात, क्या पीएम मोदी के दौरे से कांग्रेस में बेचैनी ?
Modified Date: June 27, 2023 / 11:55 pm IST
Published Date: June 27, 2023 11:55 pm IST

भोपाल । मध्य प्रदेश में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। दिग्गजों की सभाओं में सियासी तलवारों की धार अलग ही नजर आ रही है। हाल ही में जबलपुर में हुई प्रियंका गांधी वाड्रा की सभा का बीजेपी ने पुरजोर जवाब दिया। भोपाल में बने मंच पर सीधे PM मोदी नजर आए.. मानसून ने आगाज के साथ भले एमपी को ठंडा कर दिया हो लेकिन PM मोदी की सभा में चुनावी मौसम की तपिश अलग ही नजर आई। मुख्य तौर पर उन्होंने मुस्लिम वर्ग से जुड़े मुद्दों पर विरोधियों को घेरा। सियासत में सही गलत की लकीर खींचने की कोशिश की। जाहिर है PM मोदी अगर मुस्लिम वर्ग के हित की बात करेंगे तो विरोधियों का पलटवार भी दिखेगा हुआ भी ऐसा ही।

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है अगर मौसम सियासी, तो फिजा भी है जोरदार बरसने की, चुनावी तपिश का रंग ही अलग है, जुबां भी गरज रही है बादल सी चुनाव की दहलीज पर मध्य प्रदेश दस्तक दे रहा है। एक ओर मानसून धरती की तपिश को ठंडा कर रहा है। तो दूसरी ओर सियासत की तपिश बढ़ती जा रही है। PM मोदी जब भोपाल की सभा में विरोधियों पर जमकर बरसे। तो सबसे अहम रहा मुस्लिम वर्ग को लेकर किया गया संवाद। PM ने तीन तलाक पर बैन के फैसले को मुस्लिम बेटियों के लिए संजीवनी बताया। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर फैलाए जा रहे भ्रम पर करारा प्रहार किया और पसमांदा मुस्लिम भाइयों के जिंदगी के दर्द को सबके सामने रखा।

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मुस्लिम वर्ग से जुड़े मुद्दों पर बात करके PM मोदी ने 2023 के साथ-साथ 2024 के लिए भी बड़ा दांव चल दिया है। दरअसल साल 2018 के चुनाव में MP में बीजेपी को कांग्रेस से शिकस्त मिली थी लेकिन सिंधिया खेमे के बड़े फैसले ने बीजेपी को फिर सत्ता की संजीवनी दे दी थी। इस बार बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। मुस्लिम हो या आदिवासी महिलाएं हो या युवा हर वर्ग के वोट बैंक पर उसका फोकस है। MP के आने वाले चुनाव कितने अहम हैं। ये इससे भी समझा जा सकता है कि महज 5 दिन के भीतर 1 जुलाई को PM मोदी फिर शहडोल पहुंचेंगे और उसी आदिवासी वर्ग के बीच होंगे। जिनके वोटों के बड़े हिस्से से कांग्रेस पिछली बार सत्ता में आने में कामयाब रही थी। ऐसे में हर चुनावी समीकरण और गुणा-भाग में बीजेपी खुद को पुख्ता रखना चाहती है।

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