‘दशमत’ को बख्श दो ! क्या सम्मान और शुद्धिकरण से पीड़ित को इंसाफ मिला ?

'दशमत' को बख्श दो ! क्या सम्मान और शुद्धिकरण से पीड़ित को इंसाफ मिला ? Spare 'Dashmat'! Did the victim get justice with respect

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  • Publish Date - July 8, 2023 / 11:56 PM IST,
    Updated On - July 8, 2023 / 11:56 PM IST

Spare 'Dashmat'! Did the victim get justice with respect and purification?

भोपाल । पीड़ा की असहनीय तस्वीर…. तस्वीर पर इंसानियत शर्मसार… और फिर सियासत की तस्वीरें… सीधी के पेशाबकांड में पीड़ित दशमत के साथ अब तक जो कुछ भी हुआ.. वो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं… पहले भोपाल बुलाकर सीएम ने सम्मान किया.. फिर कांग्रेस ने उसके घर पहुंचकर शुद्धिकरण किया.. उसके घर पर नेताओं-अफसरों का आना-जाना… सब कुछ एक फिल्म की कहानी की याद दिला रहा है.. उस फिल्म का कैरेक्टर आज दशमत में नजर आ रहा है। 72 घंटे में उसकी जिंदगी क्या कुछ हुआ.. शायद उसकी समझ में न आए। सियासी सीन इस कदर हावी दिख रहे.. कि दशमत की पीड़ा कहीं दब गई।

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सीधी जिले की इस तस्वीर ने शर्मसार तो बहुत किया… पेशाबकांड की तस्वीरें वायरल होते ही सियासत भी खूब हो रही है… लेकिन पीड़ित दशमत के साथ अब जो हो रहा है, उसके लिए हैरान करने वाला है… रातोंरात वो सबका दुलारा बन गया.. उसने जिंदगी में कभी सोचा भी नहीं होगा कि इस तरह सम्मान मिलेगा.. सीएम खुद आरती उतारेंगे.. पांव पखारेंगे… ये सब कुछ सच था.. सपना नहीं… सीएम हाउस में सम्मान हुए कुछ घंटे ही बीते थे कि करौंदी गांव में घर पहुंचते ही अगली सुबह.. सामने कलेक्टर-एसपी.. 5 लाख मुआवजे का चेक.. डेढ़ लाख रुपए का पीएम आवास का चेक.. और अब बारी थी गंगाजल बरसने की.. चुनावी साल है मौका कहीं चूक न जाएं.. तत्काल जिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्ञान सिंह दशमत के घर पहुंच गए.. और पीड़ित का गंगाजल से शुद्धिकरण किया.. तर्क दिया सीएम ने पांव धोए हैं.. चेहरा नहीं। सहायता सुरक्षा के बोल जुबान पर थे।

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कांग्रेसी पहुंचे तो स्थानीय भाजपाई कैसे पीछे रहते.. गले मिलकर खुद को अपना बता दिया। पुलिस प्रशासन ने भी इतनी भीड़ देखकर 12 जवान तैनात कर दिए। दशमत की जिंदगी और घर पर लगा जमावड़ा बीते 3 दिन में पूरा फिल्मी सीन की तरह नजर आया। चुनावी साल में आदिवासी वर्ग से कहीं चोट न मिल जाए.. इसलिए सियासी दलों की अपनी जरूरतें हैं.. और एक दूसरे पर वार-पलटवार भी। सब कुछ फिल्मी सीन की तरह बहुत तेजी से बदला। सीएम ने कहा, मन की पीड़ा कम करने के लिए सम्मान किया। कांग्रेस ने भी आदिवासी पीड़ित के साथ सहानुभूति पेश कर दी… लेकिन जिस पीड़ा से दशमत को गुजरना पड़ा.. क्या, इन सम्मान और मुआवजे से उसके मन के घावों को भरा जा सकता है। क्या ऐसा हो सकता है.. देश और समाज में ऐसी घटनाएं हो ही न. लेकिन ऐसा होता नहीं। फिर कोई घटना ऐसे ही दर्द और इन्हीं सवालों के साथ जिंदा हो जाती हैं।

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