Face To Face Madhya Pradesh/ Image Source: IBC24
Face To Face Madhya Pradesh: भोपाल। बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए काउंट डाउन शुरू हो गया है। इस रेस में कई नाम उभर रहे हैं। क्या नया अध्यक्ष बनेगा या पुराना रिपीट होगा, अध्यक्ष पद देते वक्त पार्टी किन बातों का खयाल रखेगी, साथ ही बीजेपी के संगठन शीर्ष में बदलाव का पूरे मप्र की राजनीति पर क्या असर दिखेगा?
ये पूरे एक हजार सात सौ छियासी दिन पुरानी तस्वीर है, जब संघ की पृष्ठभूमि से आए वीडी शर्मा ने मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का काम संभाला था। इस दौरान बीजेपी ने उपचुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाई, 2023 का विधानसभा चुनाव जीता, 2024 में सभी लोकसभा सीट जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया। अब एक बार फिर बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर रेस रफ्तार पकड़ चुकी है। ऐसे में पार्टी को लगता है कि सही फैसला लेने के कारण इसमें इतनी देरी हो रही है।
वैसे तो पिछले एक सप्ताह में अमित शाह दो बार प्रदेश का दौरा कर चुके है। लेकिन, उसे प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी से जोड़ा जाना शायद सही नहीं होगा। मगर, एक यात्रा के दौरान नरोत्तम मिश्रा से उनकी अलग से हुई बातचीत ने जरुर मिश्रा के पक्ष में हवा तो तैयार कर दी है। आमतौर पर देरी का आरोप झेलने वाली कांग्रेस इस मामले में आगे है और बीजेपी पर सवाल उठाने में कोई कमी भी नहीं छोड़ रही है।
39 सालों में बीजेपी 12 नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बना चुकी है, जिनमें 8 सवर्ण रहे हैं। ऐसे में कई दूसरे नेता भी खुद को विकल्प के तौर पर मान रहे हैं। पार्टी में आदिवासी चेहरे के तौर पर सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी और गजेंद्र सिंह का नाम भी चर्चा में है। वहीं, अर्चना चिटनीस, रीति पाठक भी महिला कोटे से दावेदार है। असल में लगातार सत्ता में रहने के कारण बीजेपी के सामने चुनौती अपने इस गढ़ को मजबूत बनाए रखने की है और इसलिए ही पार्टी बेहद सोच समझकर फैसला लेना चाहेगी।