Reported By: Vijendra Pandey
,Chhindwara Toxic Syrup News. Image Source- IBC24
छिंदवाड़ाः Chhindwara Toxic Syrup News: मध्यप्रदेश के हेल्थ सिस्टम खुद अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। कुछ दिन पहले तक चूहे कुतर रहे थे और अब जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौतों ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। छिंदवाड़ा के जिन 10 मासूम बच्चों को सर्दी खांसी की शिकायत पर कोल्डड्रिफ या नेक्स्ट्रॉस डीएस कफ सिरप दिया गया, उनकी किडनी फेल होने से दर्दनाक मौत हो गई। अपने बच्चों को खोने वाले मां-बाप की पथराई आंखें अब सिर्फ न्याय देखना चाहती हैं, लेकिन प्रशासन दोनों दवाओं को बैन करने के अलावा अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। IBC24 के रिपोर्टर विजेंद्र पांडे मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से बात की।
Chhindwara Toxic Syrup News: छिंदवाड़ा में जिन पैरेंट्स ने डॉक्टर्स के कहने पर अपने बच्चों को कोल्डड्रिफ दवा पिलाई थी, उन बच्चों का यूरिन जाना बंद हो गया। शरीर में स्वैलिंग आ गई और तबीयत बिगड़ते-बिगड़ते किडनी फेल होने से 9 बच्चों की मौत हो गई। अपने बच्चों को बचाने के लिए मां-बाप ने अपनी पूरी पूंजी झोंक दी, लेकिन अपने बच्चों को बनी बचा सकें। साढ़े तीन साल का मासूम उसैद खान को बचाने के लिए पिता ने अपनी आजीविका का साधन ऑटो रिक्शा बेच दिया। कर्ज़ लेकर नागपुर में इलाज करवाया, लेकिन बच्चे की जान नहीं बचा सके। उसैद के पिता यासीन खान अब उस पर्चे को देखकर आंसू बहा रहे हैं, जिसमें लिखी कोल्डड्रिफ दवा उन्होंने अपने बेटे को पिलाई थी। मासूम उसैद का 2 साल का छोटा भाई भी उसे घर मे ढूंढता है, मोबाइल पर फोटो निकालकर जब अपने मां-बाप को दिखाता है तो सबके दिलों से हूक निकल पड़ती है। परिजनों ने IBC24 से बातचीत में दवा के नाम पर ज़हर बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
किडनी फेल होने से जिन 10 मासूम बच्चों की मौत हुई है, वो सभी परासिया ब्लॉक के रहने वाले हैं। यहां के डॉक्टर्स सर्दी-खांसी से पीड़ित बच्चों को कोल्डड्रिफ और नेक्स्ट्रॉस डीएस कफ़ सिरप प्रिस्क्राइब कर रहे थे। IBC24 से बातचीत में परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कबूल किया कि उन्होंने बच्चों को कोल्ड ड्रिफ दवा प्रिस्क्राइब की थी, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें दवा के घातक प्रभावों का कोई अंदाज़ा नहीं था। उन्होंने कहा कि दवा की जांच का जिम्मा ड्रग कंट्रोल विभाग के ही पास है। सवाल ये कि क्या डॉक्टर्स सिर्फ कमीशन के लिए ये दवा प्रिस्क्राइब कर रहे थे।
बच्चों की किडनी फेल होने से हुई मौतों पर ड्रग विभाग में हड़कंप मचा है। छिंदवाड़ा में कोल्डड्रिफ और नेक्स्ट्रॉस डीएस नाम के दोनों कफ सिरप बैन कर दिए गए हैं और इनके सैम्पल्स की जांच की जा रही है। इनमें एथिलीन ग्लाइकोल या पॉली एथिलीन ग्लाइकोल का घातक सब्सटेंस था, जिनसे बच्चों की किडनी फेल हो गई। ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर छिंदवाड़ा और परासिया की दवा दुकानों की जांच की जा रही है। इसके लिए बनाई गई विशेष टीम में 5 ड्रग इंस्पेक्टर शामिल हैं। परासिया में जांच के दौरान इस टीम ने हमसे बातचीत में कहा कि सैम्पल्स की जांच रिपोर्ट आते ही मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों की किडनी फेल होने की सूचना पाकर ICMR की टीम ने भी कई स्तर पर जांच की। बच्चों के ब्लड सैम्पल पुणे की वायरोलॉजी लैब भेजे गए, लेकिन उनमें कोई वायरल इंफेक्शन नहीं मिला। इधर जिन इलाकों में बच्चों की मौत हुई वहाँ के पानी की भी जांच कराई गई। पानी में भी कोई गड़बड़ी नहीं मिली। इसके बाद जब मृत बच्चों की किडनी की बायोप्सी रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि बच्चों को दिए गए कफ सिरप के बाद किसी टॉक्सिक सब्सटेंस से बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने कोल्डड्रिफ और नेक्स्ट्रॉस डीएस कफ सिरप को बैन करते हुए एडवाइजरी जारी की हैः-
मरीजों के लिए निर्देश:
सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण होने पर बिना देर किए तुरंत सरकारी अस्पताल जाएं।
यदि बच्चा 6 घंटे तक पेशाब नहीं कर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराएं।
मेडिकल स्टोर से खुद से दवा लेने से बचें।
मेडिकल स्टोर के लिए निर्देश:
बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के कंबिनेशन ड्रग्स न बेचें।
प्रतिबंधित कफ सिरप या फॉर्मूला न दें।
किसी भी प्रकार की एंटीबायोटिक दवा बिना पर्चे के न दें।
डॉक्टरों के लिए निर्देश:
सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित बच्चों की खास निगरानी करें, खासकर जो पहले से दवा ले रहे हैं।
यदि बच्चा 6 घंटे तक पेशाब नहीं करता, तो उसे अस्पताल में ऑब्जर्वेशन में रखें।
जरूरत पड़ने पर बच्चे को उच्च स्तर के अस्पताल (हायर सेंटर) में रेफर करें।
सोचने वाली बात ये भी है कि हमारी सरकार और हैल्थ सिस्टम गरीबों को ही केंद्र में रखकर योजनाएं बनाता है लेकिन जब भी इस तरह की लापरवाही होती है तो उनकी भेंट गरीबों के बच्चे ही चढ़ते हैं। छिंदवाड़ा में जान गंवाने वाले सभी बच्चों के परिजनों के आर्थिक हालात इस सवाल को फिर सही ठहरा रहे हैं। बहरहाल 10 बच्चों की मौत के बाद इंतज़ार कार्रवाई का है।