MP News: सीएम मोहन यादव ने किया गुरुओं का सम्मान, सुनाई महर्षि सांदीपनि की कहानी, कहा- बच्चों की हर मदद के लिए सरकार तैयार

MP News: सीएम मोहन यादव ने किया गुरुओं का सम्मान, सुनाई महर्षि सांदीपनि की कहानी, कहा- बच्चों की हर मदद के लिए सरकार तैयार

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  • Publish Date - July 10, 2025 / 06:55 PM IST,
    Updated On - July 10, 2025 / 06:55 PM IST

MP News | Photo Credit: MPDPR

भोपाल। ‘गुरू पूर्णिमा हमारी सनातन संस्कृति का उज्ज्वल पक्ष है। गुरू को हमने अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान पर रखा है। गुरू का अर्थ है अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाला। यही हमारी आदी काल से सांस्कृतिक धारा भी है। दुनिया में 200 से ज्यादा देश हैं, इन सबको लेकर भारत ने वसुधैव कुंटुम्बकम की भावना स्थापित की। हमें गर्व है कि दो हजार साल पहले दुनिया में एक तरफ अंधेरा था, कई देशों में संस्कृति का उत्थान हुआ और फिर पतन हो गया। लेकिन, परमात्मा की कृपा से किसी देश की अगर सांस्कृतिक धारा विद्यमान है, तो वो भारत है। इकबाल ने कहा है, ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी…।’ इसमें जिस कुछ बात का जिक्र है, वह हमारी वसुधैव कुटुंम्बकम की भावना है। इस भाव के तहत पूरी पृथ्वी को हम परिवार मानते हैं।’ यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 10 जुलाई को गुरू पूर्णिमा के अवसर पर कही। सीएम डॉ. यादव भोपाल के कमला नेहरू सांदीपनि विद्यालय में आयोजित ‘गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी को गुरू पुर्णिमा की बधाई दी और शिक्षकों का सम्मान किया। कार्यक्रम में गुरू परंपरा और संस्कृति पर आधारित फिल्म का प्रदर्श हुआ। इस मौके पर सांदीपनि विद्यालय के बच्चों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को स्कैच आर्ट से बना चित्र भी भेंट किया।

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कमला नेहरू सांदीपनि कन्या शासकीय विद्यालय के सर्व-सुविधायुक्त नए भवन का लोकार्पण भी किया। लगभग 36 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस अत्याधुनिक भवन में उन्नत प्रयोगशालाएं, समृद्ध लाइब्रेरी और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित ऑडिटोरियम का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़वा रहे हैं, सम्मान बढ़वा रहे हैं, वह अद्भुत है। बदलते दौर में भारत सभी क्षेत्रों में विकास के साथ दुनिया के सामने सीना तान कर खड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को जो सर्वोच्च सम्मान दिलाया, वह आजादी के बाद बनने वाला कोई प्रधानमंत्री नहीं दिला सका। उन्होंने भारत को गौरवांवित करने का अवसर दिया है। उनका जीवन हमारे सामने है। वे सरकारी व्यवस्थाओं से संघर्ष कर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के उच्च पद पर बैठे। उन्होंने कहा कि महर्षि सांदीपनि को कंस की वजह से बनारस में अपना आश्रम बंद करना पड़ा। जब कंस जैसे सत्ताधीश तानाशाह बन जाते हैं, तो सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है। समाज में हाहाकार मच जाता है। कंस के अत्याचार की वजह से बनी परिस्थिति में महर्षि सांदीपनि देशाटन के लिए निकलते हैं। उस दौर में उनका व्यक्तित्व अद्भुत था। उनका व्यक्तित्व इतना विराट था कि दुश्मन भी सोचते थे कि उनके बच्चों को महर्षि सांदीपनि ही शिक्षा दें।

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विराट और अद्भुत था महर्षि सांदीपनि का व्यक्तित्व

सीएम डॉ. यादव ने कहा कि जब महर्षि सांदीपनि देश की सीमा के पार गए तो आततायियों ने उन्हें पकड़ लिया और उन्हें बच्चों को शिक्षा देने के लिए कहा। महर्षि सांदीपनि ने विनम्रता से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने ही देश के बच्चों को शिक्षा देने का अधिकार रखते हैं। आततायियों ने उन्हें कई तरह से मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी। जब महर्षि सांदीपनि नहीं झुके तो आततायियों ने उनके 6 माह के बच्चे को छीन लिया। महर्षि सांदीपनि बच्चे को छोड़कर उज्जैन आ गए और गुरुकुल चलाया। उन्होंने नए-नए बच्चों को शिक्षित-दीक्षित किया, जबकि, अपना एक मात्र बच्चा आततायियों के पास था। उन्होंने हमारे लिए इतना बड़ा त्याग किया। इसके बाद भगवान कृष्ण वहां शिक्षा के लिए आते हैं। 64 दिन बाद ही श्री कृष्ण को वहां से जाना पड़ा। उन्हें मथुरा बुलाया गया, क्योंकि कंस के ससुर ने आक्रमण कर दिया था। आश्रम से विदाई के समय महर्षि सांदीपनि तो कुछ नहीं बोले, लेकिन गुरुमाता ने पूछ लिया कि गुरू दक्षिणा क्या दोगे। इसके बाद श्री कृष्ण ने आततायियों के युद्ध करके गुरू को दक्षिणा में उनका बेटा सौंपा और मथुरा चले गए। महर्षि सांदीपनि के विराट व्यक्तित्व, चरित्र और त्याग देखते हुए ही हमने स्कूल उनके नाम पर समर्पित कर दिए।

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15 साल बाद टूटा रिजल्ट का रिकॉर्ड

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 15 साल बाद इतना अच्छा समय आया है कि 10वीं-12वीं में रिजल्ट का रिकॉर्ट टूट गया। सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ा है। प्राइवेट स्कूल के भवन अच्छे हो सकते हैं, प्रबंधन अच्छे हो सकते हैं, वे रुपये बहुत खर्च कर सकते हैं, ये सब होने के बावजूद हमारे सरकारी स्कूलों ने साख बनाई है। नई शिक्षा नीति के साथ हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हम कॉलेजों में कम खर्च में रोजगारपरख शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। पहले मेडिकल एजुकेशन और चिकित्सा विभाग अलग-अलग थे, लेकिन, हमने दोनों का एक ही मंत्री कर दिया। पहले प्रदेश में 5 मेडिकल कॉलेज थे, आज 37 हो गए हैं। पहले मेडिकल की सीटें 500 थीं, हमने इसे 7500 करने का संकल्प लिया है। दो साल में प्रदेश में मेडिकल की दस हजार सीटें हो जाएंगी। केवल मेडिकल ही नहीं, एग्रीकल्चर के साथ-साथ रोजगारपरख कोर्स चलाए जाएंगे। हमारी सरकार ने शिक्षा को लेकर कई काम किए हैं। हमने प्राचीन परंपरा के मुताबिक कुलपति का नाम कुलगुरू कर दिया। हमारे संस्थान देश में अलग ही पहचान बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के ध्येय वाक्य पर चल रही हमारी सरकार

हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ध्येय वाक्य विरासत से विकास की ओर जा रहे हैं। जो अपनी जड़ें छोड़ता है, वह ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकता है। जिस पेड़ की जड़ें जितनी गहरी होंगा, वह उतना घना होगा। सांदीपनि स्कूलों के माध्यम से क्षेत्रों में बदलाव की बयार आ रही है। हम सांदीपनि स्कूल के लिए सरकारी बस भी चलाएंगे। कॉलेजों में भी सरकारी बस चलाई जाएगी। आज ही हम 6वीं और 9वीं क्लास के बच्चों को 5 लाख साइकिलें देने वाले हैं। महू-देवास सहित तीन सरकारी स्कूलों को व्यवस्थाओं के लिए 5 लाख रुपये दिए जाते हैं। हमारी सरकार ने तय किया कि स्कूल ड्रेस और किताबें समय पर दें। हमारे बच्चे संसार की हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। हमारे झाबुआ और रतलाम के सांदीपनि स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। ये बताता है कि दौर बदल रहा है। हमारे बच्चे डॉक्टर बनें, इंजीनियर बनें, सरकार हर तरह से उसकी मदद करेगी। हम बच्चों की 80 लाख रुपये तक फीस देने को तैयार है। भविष्य को तैयार करने के लिए सरकार हर मदद करेगी। हमारी सरकार उस दिशा में भी काम कर रही है कि बच्चे और लोगों को रोजगार दें। युवा जितना बड़ा अस्पताल खोलेंगे उसमें 40 फीसदी छूट सरकार देगी। हमारी सरकार महिलाओं का विशेष ध्यान रख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब संसद और विधासनभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। बड़े-बड़े विकसित देश बहनों को सर्वोच्च पद पर नहीं पहुंचा पा रहे हैं, लेकिन हमारे देश में राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू को चुना गया