दीपक यादव/सुधीर दंडोतियाः CM Shivraj’s strict instructions मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ दिनों से अलग फॉर्म में नजर आ रहे है। जनसभाओं में सीएम अधिकारियों-कर्मचारियों को सीख दे रहे हैं तो बैठकों में अफसरों की क्लास भी लगा रहे है। अब उन्होंने करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की चेतावनी दी है, जिस पर एक बार फिर सियासी बहस छिड़ गई है।
CM Shivraj’s strict instructions मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले CM शिवराज एक ओर भाजपा विधायकों की क्लास लगा रहे हैं तो दूसरी ओर अफसरों पर भी नकेल कसी जा रही है। उनकी कई बैठकें सुबह-सुबह ही संपन्न हो जाती हैं, जिसमें शिवराज कलेक्टर और अधिकारियों को किसी भी लापरवाही पर नहीं बख्श रहे हैं। खास कर करप्शन पर उन्होंने जीरो टॉलरेंस की नसीहत दी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान की इस चेतावनी के बाद कांग्रेस प्रदेश में बढ़े रहे भ्रष्टाचार को लेकर सरकार पर सवाल उठा रही है। जबकि भाजपा मुख्यमंत्री की सख्ती को गरीबों के हित में बताकर वाहवाही लूटना चाहती है।
Read More : RSS पर हमला बोलते हुए ‘गोडसे जी’ कह गए राहुल गांधी, अब बयान पर हो रही किरकिरी, जानिए क्या है पूरा मामला?
आंकड़ों पर गौर करें तो मध्य प्रदेश में बीते 7 साल में रिश्वतखोरी के आरोप में 1658 अधिकारी पकड़े जा चुके हैं। पिछले 5 साल में भोपाल लोकायुक्त पुलिस की टीम ने 180 लोगों को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर डेढ़ करोड़ रुपए जब्त किए हैं। इसी दौरान 12 अफसरों के घर छापे में 15 करोड़ से ज्यादा रकम मिली है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक देश में भ्रष्टाचार के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर मध्यप्रदेश छठवें नंबर पर है। एमपी में 2020 की तुलना में 2021 में करप्शन के केस 65% तक बढ़े हैं। इस दौरान 200 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए लेकिन चौंकाने वाली बात है कि पूरे साल में एक भी भ्रष्टाचारी सलाखों के पीछे नहीं पहुंचा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में एक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 कानून हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचारियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश न कर लोकायुक्त पुलिस और ईओडब्ल्यू के अधिकारी खुद ही इन्हें नोटिस थमाकर छोड़ देते हैं। गिरफ्तारी ना करने के पीछे अब लोकायुक्त और इओडब्ल्यू के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश का भी हवाला देते हैं कि सात साल से कम सजा वाले प्रावधान में आरोपी को नोटिस देकर छोड़ा जा सकता है। इतना ही नहीं भ्रष्टाचारियों पर विभागीय कार्रवाई में भी मध्य प्रदेश फिसड्डी है। ये बात अलग है कि 500 से ज्यादा मामलों की जांच चल रही है और एमपी की अदालतों में 800 से ज्यादा मामले सालों से सुनवाई की फेज में हैं। ऐसे में जनता का ये सवाल लाजिम है कि क्या करप्शन पर जीरों टॉलरेंस सिर्फ कहने से ही भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा?
पसंद नहीं आई दूल्हे की शक्ल, मंडप में दुल्हन ने…
2 hours agoBhopal Call Girl Murder Case: 23 साल की महक चला…
2 hours ago