भोपाल: Congress leaders Relationship मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी मध्यप्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी उभर कर सामने आई है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सदस्यता अभियान को लेकर हुई एक अहम बैठक में पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और अरुण यादव शामिल नहीं हुए हैं। दोनों नेताओं की बैठक से दूरी प्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय बना, तो बीजेपी नेताओं के लिए कांग्रेस को घेरने का मौक़ा भी दिया। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तो कांग्रेस को खंड-खंड तक कह दिया।
Congress leaders Relationship मिशन 2023 के लिए मध्यप्रदेश कांग्रेस इन दिनों एक्टिव नजर आ रही है। बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने घर-घर चलो अभियान चलाकर बीजेपी सरकार की खामियां गिना रही है, तो वहीं सदस्यता अभियान के जरिए 50 हजार नए सदस्य बनाने का टारगेट रखा है। चुनावी रणनीतियों को धार देने बीते गुरुवार को भोपाल में पीसीसी की अहम बैठक बुलाई गई। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे, लेकिन बैठक से दिग्विजय सिंह और अरुण यादव की दूरी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया। दरअसल बैठक में दोनों के नाम की कुर्सी भी लगी थी। खाली कुर्सी को ट्वीट करते हुए बीजेपी ने मजे लिए, तो वहीं कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी तंज कसते हुए कहा कि जब से कमलनाथ ने कांग्रेस की कमान संभाली है। प्रदेश कांग्रेस खंड-खंड हो गई है।
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पीसीसी की बैठक में दिग्विजय सिंह और अरुण यादव के शामिल नहीं होने को बीजेपी जहां कांग्रेस के अंतर्कलह और नेताओं में गुटबाजी को जिम्मेदार ठहरा रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस नेता दावा कर रहे हैं। ऐसी कोई बात नहीं, दोनों नेताओं के बैठक में शामिल नहीं होने की हाईकमान को जानकारी थी। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर जानकारी थी तो बैठक में दोनों के नाम की कुर्सियां क्यों लगी थी। हालांकि कांग्रेस नेता भी चुप नहीं है। विधायक संजय यादव ने कहा कि बयानबाजी करने वाले बीजेपी नेताओ की उनकी पार्टी और सरकार में अब बखत नहीं है। इसलिए अनाप शनाप बयानबाजी करते हैं।
कांग्रेस नेता भले कहे कि पार्टी में कहीं गुटबाजी नहीं है, लेकिन सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस नेताओं के बीच संबंध पहले जैसे दिखाई नहीं देते हैं। इसकी बानगी कुछ दिन पहले ही दिग्विजय के धरना स्थल पर हुए वार्तालाप में भी दिखी। वैसे भी कांग्रेस नेताओं पर गुटबाजी के आरोप लगते रहे हैं, समय-समय पर कांग्रेस नेता इसे साबित भी कर देते है। ऐसे में दिग्विजय सिह और अरुण यादव की पीसीसी की अहम बैठक से दूरी कई सवाल खड़े कर रही है।