नवीन सिंह, रायपुरः एमपी में चुनाव से पहले धर्म युद्ध छिड़ा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस दोनों दल सनातन धर्म के सबसे बड़े झंडाबरदार साबित करने के प्रयास में जुटे हैं। बीते दिनों बजरंग दल बैन को लेकर भाजपा ने युद्ध घोष किया तो अब कांग्रेस धर्म रक्षा यात्रा निकालने जा रही है। इसके बाद सवाल उठता है कि कांग्रेस की धर्म रक्षा यात्रा का असल मकसद क्या ? क्या मध्यप्रदेश में असुरक्षित है सनातन धर्म? और सबसे अहम बात क्या ऐसी यात्राओं से बढ़ेगा सियासी दलों का जनाधार?
दरअसल, मध्यप्रदेश में शिव, राम, हनुमान और बजरंग दल के बाद अब हिंदुत्व की नई रेस शुरू हो रही है। भाजपा के नक्श-ए-कदम पर कांग्रेस भी भगवा लेकर मैदान में कूद चुकी है। भोपाल में कलश यात्रा में इसका ट्रेलर दिखा और 13 मई को इंदौर में धर्म रक्षा यात्रा के जरिए पूरी फिल्म सामने आएगी। भाजपा नेता इसे चुनावी तस्वीर बताकर तंज कस रहे हैं, जिस पर कांग्रेस ने भी दो टूक जवाब दिया है।
जाहिर है कांग्रेस भगवा के जरिए बहुसंख्यकों को रिझाना चाहती है। कांग्रेस नेताओं ने तो ये तक दावा कर दिया कि सिर्फ कांग्रेस ही धर्म की रक्षा कर सकती है और केवल कमलनाथ ही राम राज ला सकते हैं। हालांकि इस दावे पर भाजपा ने चुटकी ले ली। यूं तो कांग्रेस की धर्म रक्षा यात्रा का मकसद हिंदू जागरण और मठ-मंदिरों संरक्षण है लेकिन क्या वाकई हिंदू जागृत नहीं और सनातन धर्म असुरक्षित है? सवाल है कि क्या हिंदुत्व के एजेंडे पर अब कांग्रेस भी दांव आजमाएगी और क्या चुनाव में धर्म की एंट्री, जीत की गारंटी है?