Face To Face Madhya Pradesh: लव जिहाद का दंगल..आया शरीयत वाला एंगल! क्या उषा ठाकुर के बयान से बीजेपी सहमत है?

Love Jihad in MP: लव जिहाद का दंगल..आया शरीयत वाला एंगल! क्या उषा ठाकुर के बयान से बीजेपी सहमत है?

Face To Face Madhya Pradesh: लव जिहाद का दंगल..आया शरीयत वाला एंगल! क्या उषा ठाकुर के बयान से बीजेपी सहमत है?

Face To Face Madhya Pradesh | Photo Credit: IBC24

Modified Date: May 30, 2025 / 11:28 pm IST
Published Date: May 30, 2025 11:28 pm IST

भोपाल: Love Jihad in MP बीजेपी नेता ऊषा ठाकुर के उस बयान के बात कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा ‘लव जिहाद’ में शामिल होकर कानूनों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों की आंखें फोड़कर उनके हाथ काट दिए जाने चाहिए। उन्होंने दावा किया कि ‘शरीयत’ में ऐसे अपराधियों के लिए इस तरह की सख्त सजा का प्रावधान है। अब जाहिर उनके इस बयान के बाद सवाल उमड़ रहे हैं।

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Love Jihad in MP कि लव जिहाद में अचानक शरीयत वाला एंगल क्यों आया? क्या उषा ठाकुर के बयान से बीजेपी सहमत है? क्या लव जिहाद के आरोपियों को शरीयत के हिसाब से सजा मिलनी चाहिए? क्या लव लिहाद के बहाने हिंदू-मुस्लिम वाली राजनीति हो रही है? क्या सिविल की तरह क्रिमिनल केस में भी मुस्लिमों पर शरीयत कानून लागू करना चाहिए?

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मध्यप्रदेश में लव जिहाद का फसाद सरेआम है।जनता से लेकर नेता तक इसमें अपनी राय दे रहे हैं। बीजेपी की फायरब्रांड नेता उषा ठाकुर का एक बयान आज जोरशोर से चल रहा है। जिसमें वो कह रही है। लव जिहादियों को शरीयत के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए। उनके इस बयान ने फिर उस पुरानी बहस को ताजा कर दिया है। जिसमें ये सवाल उठाया जाता रहा है कि अगर सिविल केस में मुस्लिम पर्सनल लॉ को मान्यता है तो क्यों नहीं आपराधिक मामलों को भी शरीयत के हिसाब से देखा जाए और उसी के मुताबिक सजा भी मिले। शरीयत के अनुसार मिलने वाली सजा से सभी परिचित हैं। सवाल है ये बयान क्यों दिया गया और लव जिहाद के बढ़ते मामलों ने सियासत का पारा चढ़ा दिया है या फिर इसे जरिए उषा ठाकुर ने कॉमन सिविल कोड का विरोध करने वाले मुस्लिमों को चुनौती पेश की है?

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मध्य प्रदेश में लव जिहाद का फसाद सरेआम है। जनता से लेकर नेता तक इसमें अपनी राय दे रहे हैं। बीजेपी की फायरब्रांड नेता उषा ठाकुर का एक बयान आज जोरशोर से चल रहा है। जिसमें वो कह रही है। लव जिहादियों को शरीयत के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए।

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ये बात तो सही है कि शरीयत में चरित्रहीनों और लोगों का जीवन बिगाड़ने वाले अपराधियों को सख्त से सख्त सजा का प्रावधान है और ऊषा ठाकुर का ये बयान उस बयान के जवाब में आया जिसमें लव जिहाद के मामले में कहा गया कि ये तो सवाब का काम है। बात सीधी सी है कि भारत देश तो संविधान से चलेगा फिर शरीयत का जिक्र क्यों किया गया। अब इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गर्माया गया है।

 

ऊषा ठाकुर के इस बयान ने फिर उस पुरानी बहस को ताजा कर दिया है। जिसमें ये सवाल उठाया जाता रहा है कि अगर सिविल केस में मुस्लिम पर्सनल लॉ को मान्यता है तो क्यों नहीं आपराधिक मामलों को भी शरीयत के हिसाब से देखा जाए और उसी के मुताबिक सजा भी मिले। शरीयत के अनुसार मिलने वाली सजा से सभी परिचित हैं। सवाल है। ये बयान क्यों दिया गया। क्या इसके जरिए उषा ठाकुर ने कॉमन सिविल कोड का विरोध करने वाले मुस्लिमों को चुनौती पेश की है?


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