दमोह (मप्र), 15 अप्रैल (भाषा) मध्यप्रदेश के दमोह में एक अस्पताल में कथित तौर पर अवैध ‘कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला’ या कैथ लैब चलाने के आरोप में नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
यहां ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम ने मरीजों के ऑपरेशन किए, जिनमें से सात की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पिछले सप्ताह अधिकारियों ने मिशनरी अस्पताल दमोह की कैथ लैब को सील कर दिया था।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) संदीप मिश्रा ने कहा, ‘फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऑनलाइन माध्यम से कैथ लैब का पंजीकरण कराने के लिए मिशन अस्पताल के निदेशक और प्रबंध समिति सहित नौ लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।’
उन्होंने कहा कि अस्पताल ने जबलपुर स्थित डॉ. अखिलेश दुबे के फर्जी हस्ताक्षर करके कैथ लैब के लिए पंजीकरण प्राप्त किया था।
मिश्रा ने बताया कि कैथ लैब में एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया के बाद इस अस्पताल में कुछ मरीजों की मौत हो गई थी। कुछ मरीजों की मौत का कारण भी यही था।
उन्होंने बताया कि नौ आरोपियों की पहचान आशिम न्यूटन, फ्रैंक हैरिसन, इंदु लाल, जीवन मैसी, रोशन प्रसाद, कादिर यूसुफ, अजय लाल, संजीव लैम्बार्ड और विजय लैम्बार्ड के रूप में हुई है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अजय लाल मिशन अस्पताल के निदेशक हैं। दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और मध्यप्रदेश उपचारगृह तथा रुजोपचार संबंध स्थापना (पंजीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत की जांच शुरू होने के बाद पुलिस ने आठ अप्रैल को प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) से डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम को कथित जालसाजी और अन्य अपराधों के लिए गिरफ्तार किया था।
छह अप्रैल को, यहां पुलिस ने दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एम के जैन की शिकायत पर यादव के खिलाफ फर्जी मेडिकल डिग्री रखने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी।
मिशनरी अस्पताल में यादव उर्फ कैम द्वारा कथित तौर पर इलाज किए गए सात मरीजों की मौत की शिकायत मिलने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम ने भी जांच की थी।
भाषा सं दिमो
संतोष
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