शह मात The Big Debate: धर्मांतरण की तेज हवा..इस मर्ज की क्या दवा? धर्मांतरण क्या अब सियासी मुद्दा बनकर रह गया? देखें रिपोर्ट
Conversion in MP: धर्मांतरण की तेज हवा..इस मर्ज की क्या दवा? धर्मांतरण क्या अब सियासी मुद्दा बनकर रह गया? देखें रिपोर्ट
Conversion in MP
- नर्मदापुरम और छिंदवाड़ा में प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण के आरोप
- भोपाल में शुभम गोस्वामी ने अमन खान से फिर शुभम बनकर घर वापसी की
- कांग्रेस-बीजेपी में धर्मांतरण और घर वापसी को लेकर जुबानी जंग
भोपाल: Conversion in MP मध्यप्रदेश के अलग-अलग इलाकों से धर्मांतरण, लव जिहाद के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। इसके चलते सूबे में सियासी उबाल और बवाल देखने को मिल रहा है। सोमवार को नर्मदापुरम के जमुनिया गांव के एक घर में हो रही प्रार्थना सभा के दौरान बवाल मच गया। विश्व हिंदू परिषद-बजरंग दल के सदस्यों ने आरोप लगाया कि- ईसाई मिशनरी के लोग भूत भगाने, बीमारी ठीक करने के बहाने लोगों को बुलाते हैं। SC-ST समाज के लोगों को बरगलाकर उनका धर्मांतरण कराते हैं, तो वहीं रविवार को छिंदवाड़ा के खापाभाट से भी धर्मांतरण का मामला सामने आया। यहां भी प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण कराया जा रहा था। हिंदू संगठन के लोग पुलिस को सूचना देकर मौके पर पहुंचे। पुलिस ने कमलेश कवरेती की शिकायत पर 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें रिमांड पर ले लिया है।
Conversion in MP तो वहीं भोपाल में प्यार की मजबूरी में जबरन मुस्लिम बने। शुभम गोस्वामी ने गुफा मंदिर में संतों और मंत्री विश्वास सारंग की मौजूदगी में घर वापसी कर ली। अब वो अमन खान की बजाय फिर से शुभम कहलाएगा। धर्मांतरण और घर वापसी के बीच कांग्रेस-बीजेपी में वार-पलटवार की जुबानी जंग छिड़ी है। कांग्रेस कानून का डर ना होने और सरकार का फेल्योर बता रही है तो बीजेपी कह रही है कि धर्मांतरण कराने वाले बख्शे नहीं जाएंगे।
कुलमिलाकर धर्मांतरण के खिलाफ जैसी बयानबाजियां सामने आती हैं। उसके बरक्स कार्रवाई कम ही देखने को मिलती है। ऐसे में सवाल ये है कि- धर्मांतरण के चंगुल में मध्यप्रदेश क्यों फंसता चला जा रहा है? कठोर धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम कानून होने के बावजूद भी – धर्मांतरण कराने वालों में खौफ क्यों नहीं है? आखिर पुलिस और प्रशासन चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं? सवाल ये भी कि- अगर हिंदू संगठन आगे न आएं तो क्या पुलिस-प्रशासन खुद कोई कार्रवाई नहीं करेंगे? क्या इससे सरकार की साख पर बट्टा नहीं लग रहा?

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