कितने खुद्दार…कितने गद्दार! मध्यप्रदेश में फिर टूटने वाली है कांग्रेस?
कितने गद्दार! मध्यप्रदेश में फिर टूटने वाली है कांग्रेस? How honest... how many traitors! Congress going to divide again in MP?
रिपोर्ट- सुधीर दंडोतिया, भोपाल: Congress divide again शुक्रवार को भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह ने भोपाल का दौरा कर प्रदेश में चुनावी बिगुल फूंक दिया है। पार्टियों ने भी मिशन 2023 के लिए काफी पहले से तैयारी तेज कर दी है। लेकिन इसी बीच दोनों तरफ से ये दावे किए जा रहे हैं कि विरोधी पार्टी के विधायक उनके संपर्क में हैं। जाहिर है 2018 में सरकार बनाने वाली कांग्रेस ने इसी दलबदल के दंश के चलते 2020 में अपनी सत्ता खो दी थी, तो इस बार पार्टी कोई रिस्क लेना नहीं चाहेगी। ऐसे में कांग्रेस का ये दावा कि भाजपा के कई विधायक उनके संपर्क में है। ये सियासी काउंटर है या वास्तविकता? किसके दावे में कितना दम है? उससे पहले पार्टियों के भीतर ये बहस छिड़ गई है कि पार्टी में कितने खुद्दार- कितने गद्दार हैं?
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Congress divide again मौजूदा राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की एमपी में लेंडिंग के साथ ही एक बार दलबदल की सुगबुगाहट तेज हो चली है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ये दावा कर रहे हैं कि विधायक उनके संपर्क में हैं। इसकी शुरुआत शिवराज सरकार के सीनियर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दावा कि है कि कई कांग्रेस विधायक और नेता बीजेपी में आने के लिए तैयार है।
भूपेंद्र सिंह के दावे से कांग्रेस में खलबली जरूर बढ़ी होगी, क्योंकि इससे पहले 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कई विधायकों के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने से तत्कालीन कमलनाथ सरकार गिर गई थी। ऐसे में पार्टी पूरी कोशिश करेगी कि दोबारा ऐसा ना हो। हालांकि कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भी बीजेपी के विधायकों को संर्पक होने की बात कहकर माहौल को गरमा दिया है। दलबदल को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों तरफ से बयान आ रहे हैं, जिसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है। हालांकि कांग्रेस और बीजेपी के नेता अपने-अपने दावे को सही ठहरा रहे हैं।
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बहरहाल भूपेंद्र सिंह और कमलनाथ बयान के बाद प्रदेश का सियासी पारा चढा हुआ है। अब सवाल ये है कि किसके दावे में कितना दम है? क्या एमपी कांग्रेस फिर टूटने वाली है या कांग्रेस बीजेपी से अपनी सरकार गिराने का बदला लेने वाली है? अगर दोनों तरफ के दावे सच है तो प्रदेश की सियासत में एक बार फिर बड़े उलटफेर देखने को मिलो सकते है। ऐसे में फिर सवाल वही कि 2023 की चुनावी रणभूमि में कितने खुद्दार कहलाएंगे और कितने गद्दार ?

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