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Fake Cast Certificate News: सरकारी कर्मियों की नौकरी खतरे में!.. 100 से ज्यादा जाति प्रमाणपत्र फर्जी.. 1950-1984 के बीच के रिकॉर्ड की जाँच शुरू..
कलेक्टर दीपक सक्सेना इस पूरी जांच प्रक्रिया की सीधे निगरानी कर रहे हैं और नियमित रूप से अधिकारियों से रिपोर्ट ले रहे हैं। तहसील स्तर पर गठित विशेष टीमों को भी प्रमाण पत्रों की गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं।
Publish Date - February 25, 2025 / 08:18 PM IST,
Updated On - February 25, 2025 / 08:18 PM IST
Case of government job through fake caste certificate || Image- IBC24 News File
HIGHLIGHTS
फर्जी जाति प्रमाण पत्र घोटाला: जबलपुर प्रशासन ने शुरू की व्यापक जांच, 100 संदिग्ध प्रमाण पत्र मिले
सरकारी नौकरी और योजनाओं में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल, अधिकारियों की मिलीभगत उजागर
कलेक्टर की सख्ती: तहसीलों में दस्तावेजों की जांच तेज, दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
Case of government job through fake caste certificate: जबलपुर: जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी, शासकीय योजनाओं का लाभ और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला लेने का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिले की सभी तहसीलों के एसडीएम को तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं।
प्रशासन द्वारा रांझी, जबलपुर, अधारताल, पनागर, मझौली, पाटन, शाहपुरा और गोरखपुर तहसील में पिछले पांच वर्षों में जारी किए गए जाति प्रमाण पत्रों की गहन छानबीन की जा रही है। प्रारंभिक जांच में लगभग 100 प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए हैं, जिनका उपयोग सरकारी लाभ, नौकरी और शैक्षणिक प्रवेश के लिए किया गया था। जांच प्रक्रिया के तहत प्रशासन 1950 और 1984 के अभिलेखों की जांच कर रहा है। इन रिकॉर्ड्स की मदद से प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा रही है।
अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत उजागर
Case of government job through fake caste certificate : जांच के दौरान कुछ मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आई है। जानकारी मिली है कि कुछ अधिकारियों ने दलालों की मदद से फर्जी जाति प्रमाण पत्र तैयार करवाए और इसके बदले आवेदकों से पैसे लिए गये। प्रशासन विधि विशेषज्ञों और दस्तावेज सत्यापन विशेषज्ञों की सहायता भी ले रहा है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना इस पूरी जांच प्रक्रिया की सीधे निगरानी कर रहे हैं और नियमित रूप से अधिकारियों से रिपोर्ट ले रहे हैं। तहसील स्तर पर गठित विशेष टीमों को भी प्रमाण पत्रों की गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने की साजिशों पर अंकुश लगेगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र एक नकली दस्तावेज है, जो किसी व्यक्ति की जाति के बारे में गलत जानकारी प्रदान करता है, ताकि वह सरकारी लाभ, नौकरी या शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश प्राप्त कर सके।
यदि मेरा जाति प्रमाण पत्र जांच के दौरान संदिग्ध पाया जाता है, तो मुझे क्या करना चाहिए?
यदि आपका प्रमाण पत्र संदिग्ध पाया जाता है, तो आपको संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करके अपनी जाति की प्रामाणिकता साबित करनी चाहिए।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने या उपयोग करने पर क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है?
फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाना या उपयोग करना एक दंडनीय अपराध है। दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें नौकरी से बर्खास्तगी, शैक्षणिक संस्थान से निष्कासन और कानूनी सजा शामिल हो सकती है।
मैं अपने जाति प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता कैसे सुनिश्चित कर सकता हूं?
अपने जाति प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए, इसे संबंधित तहसील या जिला कार्यालय से सत्यापित करवाएं। साथ ही, अपने परिवार के पुराने अभिलेखों और दस्तावेजों को सुरक्षित रखें, जो आपकी जाति की पुष्टि कर सकते हैं।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामलों की रिपोर्ट कैसे करें?
यदि आपको फर्जी जाति प्रमाण पत्र के बारे में जानकारी है, तो आप संबंधित तहसील या जिला प्रशासन कार्यालय में इसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी, और मामले की उचित जांच की जाएगी।