Rules For Milkman’s: जबलपुर। मध्यप्रदेश में दूध में मिलावट करने वालों की खैर नहीं हैं। बगैर लाइसेंस दूध बेचने वालों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। जबलपुर हाईकोर्ट में दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा पेश किया गया है। सरकार ने पिछले 3 सालों का रिकॉर्ड पेश किया। इस दौरान बताया कि बीते 3 सालों में 200 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
3 साल में 200 लोगों के खिलाफ कार्रवाई
दरअसल, मध्य प्रदेश के जबलपुर में दूध में मिलावट के मामले लगातार सामने आ रहे थे, जिसके बाद नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने याचिका दायर की थी। नागरिक उपभोक्ता मंच ने साल 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें जबलपुर समेत पूरे मध्यप्रदेश में दूध में मिलावट कर लोगों की जान से खेलने की बात कही गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार से जबाव तलब किया था। हाईकोर्ट में सरकार ने पिछले 3 साल में हुई कार्रवाई का कोर्ट में ब्योरा पेश किया।
सरकार की ओर से हाईकोर्ट को जानकारी दी गई कि पिछले 3 साल में 200 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, साथ ही वचन पत्र भी दिया गया है कि आगे भी इस तरह की कार्रवाई की जाएगी। दूध में मिलावट करने वाले किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, जिसके बाद न्यायालय ने सरकार के शपथ पत्र को रिकॉर्ड में लेते हुए याचिका निराकृत कर दी।
मिलावट करने और बिना लाइसेंस दूध बेचने पर केस दर्ज
दरअसल, याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने बताया कि मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार के पास लाइसेंस की व्यवस्था है। लेकिन, ज्यादातर लोग बिना लाइसेंस के दूध बेच रहे हैं। इन पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। खुला दूध बेचने वाले दूध कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और उनके दूध के सैंपल लिए जाने चाहिए। यदि इनमें से किसी ने मिलावट की है तो उसके खिलाफ केस भी दर्ज होना चाहिए।
इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था, कि वह खुला दूध बेचने वाले कारोबारियों की सैंपल की जांच करें। यह याचिका हाईकोर्ट में बीते 3 सालों से चल रही है। सरकार की ओर से इस मामले में जवाब दिया गया है, कि बीते 3 सालों में करीब 200 दूध विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है और कई लोगों को दंडित भी किया गया है। सरकार ने कोर्ट को बात का आश्वासन दिया है कि वे किसी को भी बिना लाइसेंस के दूध नहीं बेचने देंगे।