चुनाव से पहले बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं प्रदेश के कर्मचारी, पुरानी पेंशन, डीए समेत अन्य मांगों को लेकर करेंगे हड़ताल

बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं प्रदेश के कर्मचारी, पुरानी पेंशन, डीए समेत अन्य मांगों को लेकर करेंगे हड़ताल! MP employees will strike in July

चुनाव से पहले बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं प्रदेश के कर्मचारी, पुरानी पेंशन, डीए समेत अन्य मांगों को लेकर करेंगे हड़ताल

college students demonstrated in Raipur

Modified Date: June 20, 2023 / 07:47 am IST
Published Date: June 20, 2023 7:47 am IST

भोपाल। MP employees will strike in July मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को महज कुछ ही महीने बचे हुए हैं। चुनाव से पहले कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों ने जुलाई से बड़े आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं। पुरानी पेंशन स्कीम, डीए समेत अन्य मुद्दे उठाए जाएंगे। मध्यप्रदेश अधिकारी/कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने तीन चरण में आंदोलन करने का ऐलान किया है।

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MP employees will strike in July जानकारी के अनुसार 11 जुलाई को आंदोलन की शुरुआत होगी। प्रदेश के 50 से ज्यादा कर्मचारी संगठन आंदोलन में शामिल होंगे।

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इन मांगों को लेकर करेंगे आंदोलन

अधिकारी-कर्मचारी और पेंशनर्स को महंगाई भत्ता नहीं

महंगाई भत्ता का देय तिथि से एरियर का भुगतान नहीं किया गया।

वर्ष 2016 से पदोन्नति रूकी हुई है। इसके लिए प्रदेश सरकार कोई रूचि नहीं ले रही है। जिसके कारण हजारों अधिकारी एवं कर्मचारी पदोन्नति की बांट देखते-देखते सेवानिर्वत होते जा रहे हैं।

स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू नहीं किया जा रहा है।

आवास भत्ते की दरों को नहीं बढ़ाया जा रहा है।

अनेक संवर्गों में वेतन विसंगति व्याप्त है। लिपिकों की वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जा रही है।

एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल की जाए।

ग्रेड पे की विसंगति का निराकरण हो।

अध्यापकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता दी जाए।

निगम मंडलों में छठवां एवं पंचायत सचिवों को सातवां वेतनमान अभी तक नहीं दिया गया है। यह जल्द मिलें।

अनुकंपा नियुक्ति में सरलीकरण नहीं किए जाने के कारण हजारों आश्रित परिवार कार्यालयों के चक्कर लगाते भटक रहे हैं। यह प्रक्रिया ठीक की जाए।

नियमित शिक्षको का पदनाम परिवर्तन नहीं हो पाया है।

दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी, कोटवार, आउटसोर्सिंग कर्मचारी को नियमित नहीं किया जाए।

आशा एवं उषा कार्यकर्ता, जन स्वास्थ्य रक्षक की मांगों का निराकरण हो।

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