रविदास जयंती का बहाना… वोट बैंक पर निशाना! एक बार फिर विकास के नाम पर नहीं बल्कि जाति के नाम पर लड़ा जाएगा चुनाव?

एक बार फिर विकास के नाम पर नहीं बल्कि जाति के नाम पर लड़ा जाएगा चुनाव? Once Again elections will Contest on Base of Caste?

रविदास जयंती का बहाना… वोट बैंक पर निशाना! एक बार फिर विकास के नाम पर नहीं बल्कि जाति के नाम पर लड़ा जाएगा चुनाव?
Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 pm IST
Published Date: February 14, 2022 11:22 pm IST

रिपोर्ट: नवीन कुमार सिंह, भोपाल: Contest on Base of Caste 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सरगर्मी तेज हो चली है। बीजेपी और कांग्रेस एक और संगठन को मजबूत करने मेगा अभियान चला रहे हैं, तो दूसरी ओरअलग-अलग वर्गों को साधने की कवायद भी जारी है। आदिवासी और ओबीसी के बाद अब दलित वोटर्स को साधने बीजेपी और कांग्रेस 16 फरवरी को रविदास जयंती मनाएगी। कार्यक्रमों को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है, खुद को दलित हितैषी बताने में होड़ लगी है। अब सवाल ये है कि बीजेपी-कांग्रेस के दलित प्रेम की वजह क्या 2023 का विधानसभा चुनाव है? क्या एक बार फिर विकास के नाम पर नहीं बल्कि जाति के नाम पर चुनाव लड़ा जाएगा?

Read More: काला जादू से ठीक कर दूंगा हर बिमारी कहकर लूट युवती की आबरू, नशीला पदार्थ देकर दिया वारदात को अंजाम

Contest on Base of Caste मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस संत रविदास जयंती मनाने जोर-शोर से तैयारी कर रही है। इनकी तैयारी के पहले इन दो शहरों की तस्वीरों पर नज़र डालना भी ज़रुरी है। राजगढ़ और छतरपुर के दो दलित दूल्हों की कहानी तकरीबन एक जैसी है। दबंगों के सामने बेबस दोनों दूल्हे घोड़ी नहीं चढ़ सके। बवाल हुआ तो खाकी की सुरक्षा में दोनों दूल्हों के घोड़ी चढ़ने की हसरत पूरी हुई, लेकिन दलितों के आराध्य संत रविदास के नाम पर सियासी रोटी सेंकने वाले इस दौरान खामोश रहे। अब चूंकि साल 2023 में विधानसभा चुनाव है तो दलितों को मनाना भी ज़रुरी है। सरकार ने 16 फरवरी को रविदास जंयती के लिए पंचायतों को 2 हजार और जिला मुख्यालयों को 2 लाख रुपए तक की राशि जारी कर दी है। ताकि रविदास जयंती के जरिए मध्यप्रदेश के सवा करोड़ से भी ज्यादा दलित वोटर्स को साधा जा सके।

 ⁠

Read More: हवाई सेवा, पत्राचार…वार-पलटवार! आखिर प्रदेशवासियों को कब मिलेगा बेहतर हवाई सुविधाओं का लाभ?

न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस भी दलित वोटर्स को साधने के लिए पूरा जोर लगा रही है। 16 फरवरी को कमलनाथ सागर में रविदास जयंती पर बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं। कांग्रेस पूरे शहर में पीले चावल देकर दलित आबादी को न्योता दे रही है। लेकिन दोनों पार्टियों के दलित प्रेम के पीछे की स्क्रिप्ट कुछ यूं है। दरअसल (ग्राफिक्स इन) मध्यप्रदेश में 16 फीसदी दलित वोटर हैं और राज्य की 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। वहीं 80 सीटों पर दलितों मतदाताओं का बड़ा प्रभाव है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एससी वर्ग के लिए आरक्षित 19 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी SC के लिए आरक्षित 10 की 10 सीटों पर बीजेपी ने ही बाजी मारी थी। जाहिर है ऐसे में कोई भी दल दलितों की अनदेखी नहीं करेगा।

Read More: ऐसा भी क्या गुनाह कर दिया? पत्नी ने Valentine’s Day पर पति को बीच सड़क पर बेरहमी से पीटा

मध्यप्रदेश में दलित आदिवासियों पर हाल के दिनों में जिस तरह हिंसा की घटनाएं हुईं हैं, उसने सत्तारूढ़ बीजेपी जरूर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है जबकि कांग्रेस ने इन घटनाओं के जरिए लीड लेने की भरपूर कोशिश कर रही है। बहरहाल प्रदेश में चुनाव भले डेढ़ साल बाद होनी है, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस को अभी से दलित वोटर्स की चिंता सताने लगी है। यही वजह है कि रविदास जयंती के बहाने दोनों राजनीतिक दल अपनी भूल को सुधारने की कोशिश और दलित वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए जुट गए हैं।

Read More: तो इसलिए CSK ने नहीं लगाई सुरेश रैना के लिए बोली, चेन्नई सुपर किंग्स के CEO ने कही ये बड़ी बात


लेखक के बारे में

"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"