सत्ता की दौड़ में याद आए 'वाल्मीकि'! दलित समाज का सच्चा हितैषी कौन ? | Remembering Valmiki in the race for power! Who is the true benefactor of Dalit society?

सत्ता की दौड़ में याद आए ‘वाल्मीकि’! दलित समाज का सच्चा हितैषी कौन ?

सत्ता की दौड़ में याद आए 'वाल्मीकि'! दलित समाज का सच्चा हितैषी कौन ?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : October 20, 2021/11:44 am IST

Remembering Valmiki in the race for power : भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में दलितों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश शुरू हो गई है.. बीजेपी और कांग्रेस ने सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे उपचुनाव में वाल्मीकि जयंती के जरिये 2023 के चुनाव की सियासी फसल का बीज बो दिया है… चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर इस बार वाल्मीकि जयंती ख़ास रही है…रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि मंदिरों से ज्यादा रौनक राजनीतिक दलों के कार्यालय में रही.. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में सुंदरकांड का पाठ आयोजित हुआ..और शोभायात्रा निकाली गई.. जबकि कांग्रेस ने कांग्रेस मुख्यालय में वाल्मीकि जयंती मनाकर अपना दलित प्रेम दिखाया…

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खंडवा लोकसभा सहित रैगांव, पृथ्वीपुर और जोबट विधानसभा में उपचुनाव को अब महज दो हफ्ते से भी कम का वक्त है… लिहाजा वोटरों को भरोसा जीतने के लिए दोनों ही दलों के दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है.. दूसरी ओर वोटिंग से पहले बीजेपी और कांग्रेस खुद को दलितों का बड़ा मसीहा साबित करने की होड़ लगी है.. हालांकि दोनों का दावा है कि ऐसा वो पहली बार नहीं कर रहे…

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सत्तारूढ़ बीजेपी के भोपाल कार्यालय में सुंदरकाड का पाठ आयोजित किया गया..और वाल्मीकि शोभा यात्रा निकाली गई..जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस मुख्यालय में वाल्मीकि समाज का सम्मेलन किया गया…दोनों ही जगह पार्टी के नेताओं ने वाल्मीकि समाज के साथ मिलकर महर्षि वाल्मीकि का पूजन करने के साथ दलित समाज के लोगों का सम्मान भी किया.. इस मौके पर दोनों तरफ से दावे भी हुए कि..वाल्मीकि समाज का सच्चा हितैषी कौन है..

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इस खास मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने घर पर महर्षि वाल्मीकि पर आधारित कैलेंडर का विमोचन भी किया.. वहीं जोबट विधानसभा में प्रचार करने पहुंचे सीएम शिवराज वाल्मीकि समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए..और कहा कि वाल्मीकि जी हम सब के लिये आदर्श हैं और रामायण उनके बिना पूरी नहीं हो सकती..

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अब सवाल उठ रहा है कि…उपचुनाव से पहले वाल्मीकि जयंती पर दोनों दलों का दलित प्रेम क्यों जागा.. दरअसल मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की 35 सीटें आरक्षित हैं…और 2018 के विधानसभा चुनावों में दलित वोटरों का आशीर्वाद कांग्रेस को मिला था…जबकि 2013 में बीजेपी ने 28 सीटें जीती थी… लिहाजा बीजेपी 2023 से पहले दलित वोटों को साधने के लिये संगठन में दलित नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है.. दूसरी और कांग्रेस भी वाल्मीकि जयंती के जरिये अपने इस वोट बैंक में पैठ मजबूत करना चाहती है..
कुल मिलाकर वाल्मीकि जयंती के जरिये मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी बीजेपी और कांग्रेस दलितों का सच्चा हितैषी बनकर उपुचनाव की वैतरणी पार करना चाहती है..अब देखना ये है कि कौन जनता जनार्दन को रिझाने में कामयाब होता है.. ?

 
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