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भोपाल: मतदान के लिए मध्यप्रदेश बीजेपी का पूरा फोकस अब बूथों पर है। बीजेपी ने बूथ पर माइक्रो प्लानिंग कर रखी है। यानी हर घर में सेंध की तैयारी। माइक्रो इलेक्शन मैनेजमेंट के तहत वोटर लिस्ट में मौजूद परिवार के एक सदस्य को बीजेपी ने परिवार प्रमुख बनाया है जहां परिवार का सदस्य नहीं जुड़ा है वहां पन्ना समिति का एक सदस्य परिवार प्रमुख बनाया गया है। बीजेपी ने वोटर लिस्ट के 14 लाख पन्नों पर प्रमुख तैयार कर दिए हैं। साथ ही करीब पौने 2 करोड़ परिवारों पर फोकस कर प्रत्येक परिवार में परिवार प्रमुख तय किए हैं।
अब ये भी जानते हैं कि मध्यप्रदेश बीजेपी संगठन बूथ मॉडल काम कैसे कर रहा। पार्ट-1 में बूथ समितियां बनीं और उनका डिजिटलाइजेशन हुआ। पार्ट-2 में अर्ध पन्ना प्रमुख और पन्ना समितियां बनीं। इसके लिए बूथ विजय संकल्प अभियान चलाया। त्रिदेव यानी बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री और BLO के प्रशिक्षण वर्ग प्रदेश के 1078 मंडल में हुए। पन्ना समिति से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक हर कार्यकर्ता डिजिटलाइज है। हर कार्यक्रम और उपस्थिति संगठन एप के माध्यम से डिजिटली रिपोर्ट होती है। इससे संगठनात्मक रिपोर्टिंग प्रमाणिकता बढ़ी है और संगठनात्मक कार्यों के नए आयाम स्थापित हुए हैं। मन की बात कार्यक्रम के आयोजन में देशभर में मध्यप्रदेश आगे रहता है, जिसे हर बूथ पर सुना जाता है। मप्र के 64 हजार 523 बूथों में से 100 फीसदी बूथ समितियां डिजिटलाइज हो चुकी हैं।
कांग्रेस ने भी मंडलम और सेक्टर को मजबूत कर बूथ को मजबूत किया है। कांग्रेस का दावा है कि बूथ पर उनकी प्लानिंग से बीजेपी चारो खाने चित्त हो जाएगी। चुनाव में सबसे अहम कड़ी बूथ ही है और बूथ पर ही सियासी दलों की असली परीक्षा है। चुनाव प्रचार में भले ही दिग्गजों ने पसीना बहाया हो। लेकिन सियासी दलों का बूथ प्रबंधन ही उन्हें सत्ता के शिखर पर पहुंचायेगा। बीजेपी हो या कांग्रेस सभी ने पूरे पांच साल बूथ को मजबूत करने के लिए किलेबंदी की है। बीजेपी ने 51 % वोट शेयर का लक्ष्य हर बूथ पर रखकर चक्रव्यूह रचा है। अब देखना ये है कि सियासी दलों की ये कवायद मतदाता को बूथ तक लाने में कितनी सफल साबित हो पाती है।