The duet of Kamal Nath and Digvijay Singh was once again seen in Madhya Pradesh

नाथ-दिग्गी की जुगलबंदी.. भाजपा कैसे करेगी किलेबंदी? क्या मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा का असर अब दिखने लगा है?

The duet of Kamal Nath and Digvijay Singh was once again seen in Madhya Pradesh

Edited By :   Modified Date:  December 1, 2022 / 12:11 AM IST, Published Date : December 1, 2022/12:11 am IST

नवीन सिंह/भोपाल: राजनीति में लेफ्ट और राइट के बड़े मायने होते हैं। कार्यकर्ता हमेशा नेता के या तो लेफ्ट रहना चाहता है या राइट लेकिन जब नेता दूसरे समकक्ष नेता के राइट होने की बात करने लगे तो इसके मायने क्या हैं। एक महीने पहले तक वहीं नेता लगभग ये संदेश देने की कोशिश कर रहा था कि अब राजनीति से एक हाथ की दूरी है। पोस्टर में खुद को जगह न देने की बात कहकर संदेश तो यहीं देने की कोशिश की।

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मध्यप्रदेश में इन दिनों राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर एमपी में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। बयानों की बाढ़ आई हुई है। इसी बीच दिग्विजय सिंह का ये कहना कि मैं हमेशा से ही कमलनाथ के राइट साइड रहा हूं। आप लोग गलतफहमी में मत रहना। सियासी गलियारों में बेचैनी जरूर बढ़ाएगी और ये भी तय है कि दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद कांग्रेस नेताओं के हौंसले जरूर बुलंद होंगे। कांग्रेस को उम्मीद है कि जिस तरह 2018 के चुनावों में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने कमाल किया था ठीक वही कहानी 2023 के चुनावों में भी कांग्रेस दोहराएगी।

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खबर तो ये भी है कि दिग्विजय सिंह भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होते ही मध्यप्रदेश की सभी 230 सीटों को नापने निकलेंगे। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी दिग्विजय सिंह की यात्रा के लिए मंजूरी दे दी है। दिग्विजय सिंह यात्रा के फऱवरी में खत्म होन के बाद मध्यप्रदेश की यात्रा पर रवाना हो जाएंगे। न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ को भी दिग्विजय सिंह से बड़ी उम्मीदें हैं। जानकार तो ये भी बताते हैं कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ में गजब का तालमेल है। दोनों नेता एक दूसरे की बात सुनते हैं समझते हैं और मानते भी हैं। लेकिन विरोधी इन दावों के उलट देखते हैं।

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सत्तापक्ष भले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की ट्यूनिंग का मज़ाक बनाएं लेकिन बीजेपी अच्छे से जानती है कि दोनों गुट एक हो गए तो सत्ता में वापसी का रास्ता मुश्किल हो सकता है। दिग्विजय सिंह अगर कांग्रेस के लिए समन्वय की जिम्मेदारी संभालते हैं तो चुनाव में बीजेपी की परेशानी बढ़ेगी। क्योंकि दिग्विजय सिंह ही कांग्रेस में अकेले ऐसे नेता हैं जो हर गुट के कार्यकर्ताओं नेताओं को जोड़ने का कौशल जानते हैं। पिछले चुनावों में भी कमलनाथ की हरी झंडी मिलते ही दिग्विजय सिंह ने सीनियर लीडिरशिपर से नाराज़ होकर घर बैठे कांग्रेसियों को मोर्चे पर उतार दिया था। ऐसे में जब चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं बचा है तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जुगलबंदी से बड़ी उम्मीदें होंगी।