Mandsour News: गाजे-बाजे के साथ निकली शख्स की अंतिम यात्रा, डीजे की धुन पर जमकर थिरके दोस्त, वायरल हुआ वीडियो

गाजे-बाजे के साथ निकली शख्स की अंतिम यात्रा, The last journey of the person took place with great fanfare, Read

  •  
  • Publish Date - July 30, 2025 / 10:10 PM IST,
    Updated On - July 31, 2025 / 12:10 AM IST
HIGHLIGHTS
  • समाजसेवी सोहनलाल जैन की अंतिम इच्छा थी – उन्हें बैंड-बाजे और नृत्य के साथ विदाई दी जाए।
  • उनके बचपन के दोस्तों ने गोपनीय पत्र मिलने के बाद यह इच्छा पूरी की, भावुक माहौल में विदाई हुई।
  • अंतिम यात्रा में गांव के सैकड़ों लोग डीजे और प्रभात फेरी के साथ शामिल हुए, वीडियो वायरल।

शुभम मालवीय, मंदसौर: Mandsour News: आमतौर पर यह देखा जाता है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार में शोक का माहौल रहता है। परिजन मृतक को रोते-बिलखते हुए अंतिम विदाई देते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां व्यक्ति की अंतिम विदाई नाचते-कूदते बैंड बाजा के साथ हुई। ऐसा नहीं हैं कि परिवार में कोई शोक नहीं था। परिवार के साथ मृतक के दोस्त और गांववाले के लोग शोक में थे। मृतक की अंतिम इच्छा पूर्ति के लिए उन्हें नाचते-कूदते बैंड बाजा के साथ विदाई दी गई।

Read More : Bhopal News: 1 अगस्त से इन लोगों को नहीं मिलेगा पेट्र्रोल, कलेक्टर ने जारी किया आदेश, इस वजह से लिया गया बड़ा फैसला

Mandsour News: मामला मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के ग्राम जवासिया का है। बुधवार को सोहनलाल जैन नामक एक समाजसेवी की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। बुजुर्ग के गांव में ही दो गहरे मित्र हैं। बचपन से एक साथ पले-बढे। सोहनलाल जैन ने आज से 5 साल पहले एक गोपनीय पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने दोनों दोस्तों से यह आग्रह किया कि जब उनकी मृत्यु हो जाए तो वह दोनों उन्हें रोते बिलखते विदा करने के बजाय नाचते कूदते बैंड बाजा के साथ रवाना करें। बुधवार को अचानक उनकी मृत्यु हो गई और जब परिजनों ने उनकी निजी संदूक और अलमारी खोले तो मित्रों के नाम लिखा हुआ यह पत्र मिला। इस पत्र के सामने आते ही दोनों दोस्त भावुक हो उठे और ना चाहते हुए भी उन्होंने अपने दोस्त की अंतिम इच्छा अनुसार उन्हें विदाई दी।

Read More : शादीशुदा शख्स को हुआ किन्नर से प्यार, पत्नी और बच्चों को घर में छोड़ हुआ फरार, कहा- अब हम पति-पत्नी की तरह रहेंगे 

बता दें कि सोहनलाल जैन काफी धार्मिक प्रवृत्ति के समाज सेवक थे। उन्होंने 32 साल पहले गांव में प्रातः कालीन प्रभात फेरी और रामधन की शुरुआत की थी। अंबालाल प्रजापत और शंकर लाल पाटीदार नामक यह दोनों मित्र भी उनके रामधून और प्रभात फेरी के शुरुआती साथी रहे। सोहनलाल जैन स्कूली छात्रों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए भी स्वतंत्रता दिवस, शिक्षक दिवस और गणतंत्र दिवस पर स्कूलों के आयोजनों में भागीदारी करते रहे। उनके निधन के बाद उनके इस पत्र के खुलासे से आज पूरा गांव उन्हें विदा करने श्मशान घाट पहुंचा। गांव के लोगों ने उनकी अंतिम इच्छा अनुसार ही बैंड बाजा के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी।

Read More : MP Crime: ड्रीम गर्ल की आवाज सुनकर आउट ऑफ कंट्रोल हुआ युवक, वीडियो कॉल में ही उतार दिए सारे कपड़े, फिर जो हुआ जानकर पुलिस भी रह गई दंग

सोहनलाल जैन के पड़ोसी दौलतराम पाटीदार ने बताया कि बाबूजी पूरे गांव के लिए सम्मानजनक व्यक्ति थे ।उन्होंने कई सालों पहले युवाओं में आलस की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए प्रातः कालीन प्रभात फेरी और रामधुन की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि बाबूजी और अंबालाल प्रजापत और शांतिलाल पाटीदार के अलावा मंदिर के पुजारी ही केवल शुरुआती दौर में प्रभात फेरी निकालते थे। लेकिन उनके इस क्रम से प्रेरित होकर अब गांव के सैकड़ो युवा भी नियमित प्रातः काल की प्रभात फेरी में हिस्सा लेते हैं ।उन्होंने बताया कि उनके जाने के बाद प्रभात फेरी का क्रम जारी रहेगा और उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर है।

किसने और क्यों बैंड-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली?

सोहनलाल जैन नामक एक समाजसेवी ने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि उन्हें बैंड-बाजे और नाचते-गाते हुए विदाई दी जाए, जो उनके दोस्तों ने पूरी की।

क्या परिजन इस फैसले से सहमत थे?

हां, जैसे ही गोपनीय पत्र मिला, परिवार भावुक हो गया और सभी ने अंतिम इच्छा के अनुसार विदाई देने का निर्णय लिया।

सोहनलाल जैन कौन थे?

वे एक सम्मानित धार्मिक और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने गांव में प्रभात फेरी, रामधुन और युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहलें की थीं।

क्या इस तरह की अंतिम यात्रा कानूनी है?

अगर यह स्थानीय प्रशासन और सामाजिक शांति को प्रभावित न करे, और परिवार व समुदाय सहमत हों, तो यह वैध है।

क्या यह परंपरा अब गांव में जारी रहेगी?

गांववालों ने बताया कि प्रभात फेरी और रामधुन की परंपरा जारी रहेगी, और सोहनलाल जैन की स्मृति में इसे और भी संगठित रूप दिया जाएगा।