Iccha Devi Mata Mandir Burhanpur: इस गांव में 500 साल पहले प्रकट हुई थी मां इच्छादेवी, मंदिर में आने वाले हर भक्तों की इच्छा करती है पूरी…
Iccha Devi Mata Mandir Burhanpur मध्य प्रदेश के जिले बुरहानपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर मां इच्छादेवी का मंदिर है।
Iccha Devi Mata Mandir Burhanpur: बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के जिले बुरहानपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर मां इच्छादेवी का मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना 5 सौ साल पहले हुई थी और गांव का नाम भी माता के नाम पर इच्छापुर रखा गया। नवरात्र के दौरान मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इच्छा देवी मंदिर जिसमें कि स्वयंभूव मूर्ति हैं यहां मां इच्छादेवी भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण कर देती हैं।
मंदिर का रोचक इतिहास
इस मंदिर का अपना है रोचक इतिहास है। यह जमीन से सटे पर्वत पर स्थित हैं। यहां दोनों नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। कहा जाता हैं कि इस ग्राम का नाम इच्छा माता पर आधारित ग्राम इच्छापुर हैं, कहा जाता हैं कि इस ग्राम का नाम इच्छा देवी (इच्छा पूरी करने वाली) के नाम पर रखा गया हैं। इस मंदिर जन श्रुति है यह है कि एक मराठा सूबेदार ने संकल्प किया था कि यदि उसे पुत्र की प्राप्ति होगी तो वह देवी के लिए एक मंदिर और कुआं बनवाएगा। जब उसकी इच्छा पूरी हुई तो उसने कुआं और मंदिर बनवाया बाद में मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां भुस्कुटे परिवार ने बनवाई। यहां दोनों नवरात्र में पड़वा से लेकर नवमीं तक सभी शहरी एवं ग्रामीण लोग यहां आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। यहां दोनों नवरात्र में एक वार्षिक मेला भरता है, जो 9 दिनों तक चलता हैं।
इच्छा देवी की आस्था
खास बात यह कि नवरात्रि के दौरान पूरे गांव में किसी के भी घर में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना नहीं होती। सभी इसी मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं। गांव के ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए घुटनों के बल तो कहीं हर सीढ़ी पर नारियल फोड़कर अपनी इच्छापूर्ति करते हैं।
Iccha Devi Mata Mandir Burhanpur: इच्छादेवी के धाम में एक विशाल वार्षिक मेला भी लगता है जो चैत्र माह की त्रयोदशी से शुरु होकर पूर्णिमा तक चलता है ।इस मेले में प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश भर के लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस मेले में मन्नत पूरी होने पर लोग नीम के पत्ते शरीर पर लेपटकर हाथ में जलती लौ रख कर पहाड़ी पर चढ़ते हैं देवी के दर्शन कर नीम साढ़ी अर्पित करते हैं।
ये वो परंपरा है जो मन्नतें पूरी होने पर सदियों से निभाई जाती रही है। देवी के इस धाम का अब धीरे-धीरे कायाकल्प होने लगा है। इच्छादेवी ट्रस्ट की ओर से मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा मुहैया कराई गई है ।वहीं पर्यटन के लिहाज से भी इस धाम को विकसित करने की कोशिश की जा रही है।
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