जबलपुरः कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई। हिंदुस्तान ने भी संक्रमणकाल में डटकर मुकाबला किया। भले ही अब संक्रमण के केस कम हो रहे हों, लेकिन ब्लैक फंगस यानि म्यूकर माईकोसिस अब भी कहर बरपा रहा है। जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से अब तक ब्लैक फंगस के 250 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं। अब भी 15 मरीज भर्ती हैं। हैरानी की बात ये है कि ब्लैक फंगस के कई नए मरीजों में कोविड हिस्ट्री या डेंगू हिस्ट्री भी नहीं मिल रही।
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ब्लैक फंगस को लेकर हर कोई अलग-अलग दावा कर रहा है। जबलपुर के एक एक्सपर्ट डॉक्टर का दावा है कि इलाज में इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का इस्तेमाल करना एक बड़ी गलती थी। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के इस्तेमाल से कम इम्यूनिटी वाले मरीजों को ब्लैक फंगस ने घेर लिया।
कोरोना की सेकेंड वेव के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते इलाज में इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया। जिस पर अब कुछ भी बोलने से अधिकारी बच रहे हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कई बीमारियों के इलाज में डॉक्टर स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं। अब भी ब्लैक फंगस मरीज मिलने के पीछे इसे ही बड़ी वजह माना जा रहा था।
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ये बात सच है कि पूरी दुनिया में भारत ही वो देश है। जहां मरीजों के इलाज में इंडस्ट्रियल ऑक्सीज़न का धडल्ले से इस्तेमाल हुआ। जो अब जानलेवा साबित हो रहा है।