राजधानी में आज निकलेगा परंपरागत जुलूस, मोहर्रम पर आज होगा ताजियों का विसर्जन

Muharram 2022: राजधानी में आज निकलेगा परंपरागत जुलूस, मोहर्रम पर आज होगा ताजियों का विसर्जन, प्रशासन ने किए खास इंतेजाम

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  • Publish Date - August 9, 2022 / 11:24 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

Muharram 2022: भोपाल। आज मोहर्रम है और राजधानी भोपाल में मोहर्रम के मौके पर मंगलवार को ताजियों का विसर्जन होगा। इसके साथ ही आज ईरानियों का परंपरागत जुलूस भी निकालेगा। इसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। सुरक्षा-व्यवस्था के लिए पुलिस की तैनाती की गई है। सैकड़ों शानदार ताजिये, बुर्राक, सवारियां, इस्लामी परचम के निशान पाक, अलम मुबारक, अखाड़े, मातमी जत्थे, ढोल, नगाड़े, ताशे सभी करबला की ओर जाएंगे। मोहर्रम पर ताजिए निकाले जाएंगे। नगर निगम ताजियों का विसर्जन कराएगा। दस दिन पहले शुरु हुए मोहर्रम माह के नौवें दिन जगह-जगह इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया गया। इस दौरान घर और मस्जिदों में इमाम हुसैन के नाम का फातिहा पढ़ा गया। इस दिन लोग नफली रोजा भी रखते हैं।

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आज होंगे ताजिया विसर्जन

Muharram 2022: कोरोना के कारण दो साल बाद ताजियों का जुलूस निकाला जा रहा है। इसे देखते हुए जिन लोगों ने ताजियों की स्थापना की है, वह लोगों के साथ जाकर ताजियों का विसर्जन करेंगे। आल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के अनुसार इस बार शहर के प्रमुख चौराहों पर ताजियों की स्थापना की गई है। आज मंगलवार सुबह 9 बजे से ताजियों का जुलूस निकला, जो पीरगेट पर जमा हो रहे है। इसके बाद ये जुलूस उकट्ठा होकर यहां से करबला जाएंगे। जिसके बाद पारंपरिक रूप से शीरीन नदी और कमलापति घाट पर ताजियों का विसर्जन किया जाएगा।

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यहां किए गए खास इंतेजाम

Muharram 2022: कमलापति घाट, करबला और शीरीन नदी पर नगर निगम ने विसर्जन के इंतजाम किए हैं। सोमवार को इमामबाड़ों और ताजिया स्थलों पर लोगों ने दरुद और फातिहा ख्वानी की। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। यादगार मोहर्रम योम-ए-आशुरा पर विशाल परंपरागत जुलूस में कई लोग शामिल होकर अपनी-अपनी अकदीत पेश करेंगे। इसमें परचम-ए-इस्लाम,निशान पाक,अलम मुबारक तथा नौहाख्वान मातमी जत्थे होंगे। मरसीए और नोहाख्वानी करते हुए जुलूस में शामिल कई हुसैनी लोग सामूहिक गम मनाकर परंपरागत मातम गिरिया भी करेंगे। उनके पीछे सैकड़ों छोटे-बड़े आकर्षक ताजियों, सवारियां, अखाड़े, नगाड़े, ढोल, ताशे और ज़ुलजना, मश्क, बुर्राक आदि भी प्रमुख रूप से शामिल होंगे।

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