What is River Linking Project : 160 साल पहले का विचार.. सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी तो मोदी सरकार ने शुरू किया काम, जानें केन-बेतवा लिंक परियोजना किसे मिलेगा कितना लाभ?

What is River Linking Project: The idea of ​​linking rivers came 160 years ago

What is River Linking Project : 160 साल पहले का विचार.. सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी तो मोदी सरकार ने शुरू किया काम, जानें केन-बेतवा लिंक परियोजना किसे मिलेगा कितना लाभ?

Ken-Betwa Link Project in Madhya Pradesh | Source : IBC24

Modified Date: December 25, 2024 / 03:51 pm IST
Published Date: December 25, 2024 3:48 pm IST

नई दिल्लीः देश में अब नदियों को एक-दूसरे से जोड़ने की शुरुआत हो गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो से केन- बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जन्मशती पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने इसे देश के लिए महत्वपूर्ण बताया। लेकिन क्या आपको पता है कि नदियों को जोड़ने का विचार कहां से और कब आया? केन- बेतवा लिंक परियोजना किस राज्यों को कितना फायदा होगा? चलिए जानते हैं इस खबर के जरिए

दरअसल, नदियों को आपस में जोड़ने का विचार 161 साल पुराना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1858 में ब्रिटिश सैन्य इंजीनियर आर्थर थॉमस कॉटन ने बड़ी नदियों के बीच नहर जोड़ का प्रस्ताव दिया था, ताकि ईस्ट इंडिया कंपनी को बंदरगाहों की सुविधा हो सके और दक्षिण-पूर्वी प्रांतों में बार-बार पड़ने वाले सूखे से निपटा जा सके। लेकिन आजादी के बाद ही इस दिशा में काम शुरू हो पाया। 1960 में तत्कालीन ऊर्जा और सिंचाई मंत्री केएल राव ने नेशनल वाटर ग्रिड के तहत गंगा और कावेरी को जोड़ने का सुझाव दिया। 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी का गठन किया। इसी के तहत नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान बनाया गया, जिसका लक्ष्य नदियों को जोड़ना था।

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मोदी के आने के बाद फिर आई तेजी

यूपीए-1 और यूपीए-2 ने पूरे एक नदी जोड़ परियोजना (आइएलआर) को तवज्जो नहीं दी। यूपीए में पर्यावरण मंत्री रहे जयराम रमेश ने इस परियोजना को विनाशक बताया था। वहीं सरकार में आने के पहले ही नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2014 में बिहार में आयोजित एक चुनावी रैली के बाद ट्वीट कर कहा था कि ‘नदियों को जोड़ने का अटलजी का सपना ही हमारा भी सपना है। हमारे मेहनती किसानों को यह ताकत दे सकता है’। फरवरी 2012 में आए फैसले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस.एच. कपाड़िया और स्वतंत्र कुमार की, सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रहित में है।’ उन्होंने नदियों को जोडऩे के लिए एक विशेष कमेटी बनाने का भी आदेश दिया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने 23 सितंबर 2014 को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय के तहत एक विशेष समिति का गठन किया था। अप्रैल 2015 में एक स्वतंत्र कार्यबल भी गठित किया गया। इसी का परिणाम है कि देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा लिंक परियोजना शुरू हो पाई।

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कहां है केन और बेतवा नदी

बता दें कि केन बुंदेलखंड में बहने वाली प्रमुख नदी है। इसका उद्गम कैमूर पर्वतमाला से होता है। मध्य प्रदेश ने निकलकर यह नदी उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना से मिल जाती है। इसे यमुना की अंतिम उपहायक नदी कहा जाता है। बेतवा भी एक महत्वपूर्ण नदी है। इसे बुंदेलखंड की गंगा कहा जाता है। इसकी शुरुआत रायसेन जिले के कुमरा गांव के समीप विन्ध्याचल पर्वत से होती है। यह नदी भोपाल, ग्वालियर, झांसी, औरेया और जालौन से होते हुए हमीरपुर के पास यमुना में मिल जाती है। इस परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई वाला बांध बनाया जाएगा। इसे दौधन बांध कहा जाएगा। इसके साथ ही दो टनल का निर्माण कर बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी को स्टोर किया जाएगा। इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को होगा। मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया इससे लाभान्वित होंगे। वहीं उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा में भी पानी पहुंच सकेगा।

क्यों पड़ी इस परियोजना की जरूरत?

भारत इतना विशाल देश है कि यहां काफी विविधता पाई जाती है। किसी हिस्से में सूखा पड़ जाता है, तो कहीं ज्यादा पानी की वजह से बाढ़ आ जाती है। इस समस्या को कम करने के लिए नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान बनाया गया था। अब सरकार की ओर काम शुरू होने पर लोगों को सिंचाई सहित अन्य सुविधाएं मिलेगी।

ऐसे समझे पूरी खबर

1. केन-बेतवा लिंक परियोजना का क्या उद्देश्य है?

केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी को दूर करना और वहां सिंचाई के लिए जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह परियोजना पानी की अधिकता और कमी दोनों की समस्याओं का समाधान करेगी और इससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा।

2. केन-बेतवा लिंक परियोजना से किसे फायदा होगा?

इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया जिले को लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा भी इस परियोजना से पानी की आपूर्ति प्राप्त करेंगे।

3. नदियों को जोड़ने का विचार कब और कहां से आया था?

नदियों को जोड़ने का विचार 161 साल पुराना है। 1858 में ब्रिटिश सैन्य इंजीनियर आर्थर थॉमस कॉटन ने नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद स्वतंत्रता के बाद 1960 में इसे एक योजना के रूप में विकसित किया गया।

4. केन और बेतवा नदियां कहां स्थित हैं?

केन नदी बुंदेलखंड क्षेत्र में बहने वाली प्रमुख नदी है, जिसका उद्गम कैमूर पर्वतमाला से होता है और यह यमुना में मिलती है। बेतवा नदी भी बुंदेलखंड की महत्वपूर्ण नदी है, जिसका उद्गम रायसेन जिले के कुमरा गांव के पास होता है और यह यमुना में मिलती है।

5. केन-बेतवा लिंक परियोजना की विशेषताएं क्या हैं?

इस परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई वाला बांध बनाया जाएगा, जिसे दौधन बांध कहा जाएगा। इसके साथ ही दो टनल का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे 2,853 मिलियन घन मीटर पानी को स्टोर किया जा सकेगा।


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।