शह मात The Big Debate: दुकानदारों की धर्म की हो पहचान..कावड़ यात्रा से पहले घमासान, महानगरी में दुकानदारों से नाम जाहिर करने की मांग क्यों? देखिए पूरी रिपोर्ट

MP Politics: दुकानदारों की धर्म की हो पहचान..कावड़ यात्रा से पहले घमासान, महानगरी में दुकानदारों से नाम जाहिर करने की मांग क्यों? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - July 2, 2025 / 11:20 PM IST,
    Updated On - July 2, 2025 / 11:20 PM IST

MP Politics | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • दुकानों पर असली नाम की नेम प्लेट लगाने की मांग
  • नाम प्रदर्शित होने से पारदर्शिता और श्रद्धालुओं को सुविधा
  • नेम प्लेट विवाद ने MP में BJP और कांग्रेस के बीच सियासी घमासान

भोपाल: MP Politics हर दुकान की पहचान हो, तख्तियों पर दुकानदारों का असली नाम हो, ये मांग ठीक कांवड़ यात्रा से पहले फिर उठी है। महाकाल लोक के स्थानीय निवासियों ने ये मांग की है। ऐसी ही मांग पर यूपी-उत्तराखंड में पहले ही तूफान बरपा हुआ है। अब मध्यप्रदेश में इसे लेकर सियासत गर्म है। इस मांग को हिंदू-मुसलमान वाली राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। जबकि नाम जाहिर करने की मांग करने वाले इसे आस्था का विषय बता रहे हैं। उनका ये भी सवाल है कि अपना नाम जाहिर करने में हर्ज क्या है और इसे अनुचित क्यों कहा जाना चाहिए । दरअसल नाम जाहिर करने का मतलब चिह्नित होना है, तो क्या मुस्लिम पक्ष का डर ये है कि उन्हें पहचान उजागर होने पर सामूहिक बहिष्कार का सामना न करना पड़े। ये मुमकिन भी है। पर ये भी सच है कि सब कुछ पारदर्शी हो तो पॉलिटिक्स की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।

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MP Politics सावन की शुरुआत से पहले उज्जैन में रेस्टोरेंट और होटल, ढाबा संचालकों के नाम प्रदर्शित करने की मांग की जा रही है। धार्मिक संगठनों और पुजारियों का कहना है कि नेम प्लेट लगाने से पारदर्शिता बनी रहेगी और श्रद्धालुओं को भोजन चयन करने में सुविधा होगी। दरअसल, 11 जुलाई से सावन महीना प्रारंभ हो रहा है। इस दौरान देशभर से लाखों की संख्या में कावड़िये उज्जैन पहुंचते हैं और महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करते हैं। ऐसे में शहर के प्रमुख मार्गों, खासकर इंदौर रोड और बेगमबाग जैसे क्षेत्रों में करीब 600 रेस्टोरेंट और होटल संचालित होते हैं। इनमें से करीब 200 का संचालन विशेष समुदाय के लोग करते हैं। जहां श्रद्धालु अल्पाहार या भोजन करते हैं। हिंदू संगठनों और पुजारियों का कहना है कि कई बार श्रद्धालु अनजाने में ऐसे रेस्टोरेंट्स में भोजन कर लेते हैं। जहां शाकाहार के साथ मांसाहारी भोजन भी परोसा जाता है। इससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।

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इस मांग के बाद BJP कांग्रेस के बीच सियासी तलवारें खिंच गई हैं। BJP संतों की मांग का पूरी ताकत के साथ समर्थन कर रही है लेकिन कांग्रेस को बीजेपी के समर्थन पर ऐतराज़ है। कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि ये सिर्फ और सिर्फ बीजेपी का एजेंडा है। हालांकि ये मांग नई नहीं है। पिछले साल यूपी से उठी इस मांग ने मध्यप्रदेश में भी जमकर बवाल काटा था। अब एक बार फिर नेम प्लेट की मांग ने MP की सियासत को गरमा दिया है। जाहिर है अब चुनौती प्रशासन और बीजेपी सरकार के सामने है।

उज्जैन नेम प्लेट विवाद क्या है?

उज्जैन नेम प्लेट विवाद में स्थानीय धार्मिक संगठन चाहते हैं कि रेस्टोरेंट और होटल मालिक अपनी दुकान पर असली नाम की नेम प्लेट लगाएं ताकि श्रद्धालु जान सकें कि कहां भोजन कर रहे हैं।

उज्जैन नेम प्लेट विवाद में किसे आपत्ति है?

कुछ लोग मानते हैं कि उज्जैन नेम प्लेट विवाद को हिंदू-मुस्लिम राजनीति से जोड़ा जा रहा है और इससे खास समुदाय के लोगों को बहिष्कार का डर सता रहा है।

उज्जैन नेम प्लेट विवाद क्यों उठा है?

उज्जैन नेम प्लेट विवाद सावन महीने में महाकाल लोक में आने वाले कांवड़ियों के शुद्ध शाकाहारी भोजन की सुविधा के लिए उठा है, ताकि श्रद्धालु पारदर्शी तरीके से भोजन स्थल चुन सकें।