नागपुर, आठ दिसंबर (भाषा) शिवसेना (उबाठा) विधायक आदित्य ठाकरे ने सोमवार को दावा किया कि महायुति के एक सहयोगी दल के 22 विधायक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ‘‘करीबी’’ हो गए हैं और पाला बदलने को तैयार हैं। उनका परोक्ष तौर पर इशारा उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना की ओर था।
जून 2022 में, शिंदे के नेतृत्व में विधायकों के विद्रोह के बाद शिवसेना विभाजित हो गई थी, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
बाद में, जनवरी 2024 में, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा था कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ‘असली’ शिवसेना है, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ राज्य में सत्तारूढ़ महायुति का एक घटक है।
आदित्य ठाकरे ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का नाम लिए बिना दावा किया, ‘‘सत्ता पक्ष की एक पार्टी है और दो गुट हैं। एक गुट के 22 विधायक मुख्यमंत्री के करीबी हो गए हैं। उनके पास अच्छा धन है और वे मुख्यमंत्री के इशारों पर नाचने लगे हैं।’’
उन्होंने विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि 22 विधायक ‘पाला बदलने को तैयार हैं।’
वर्ली से विधायक ठाकरे ने कहा कि इन 22 विधायकों में से एक खुद को ‘उप-कप्तान’ कहता है। उनका परोक्ष तौर पर इशारा उद्योग मंत्री उदय सामंत की ओर था।
अतीत में, शिवसेना (उबाठा) ने दावा किया था कि शिंदे और अजित पवार के साथ सामंत राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री हो सकते हैं।
राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति को लेकर निष्क्रियता के मुद्दे पर, आदित्य ठाकरे ने सवाल किया कि सरकार विपक्ष के नेताओं से क्यों डरती है।
शिवसेना (यूबीटी) नेता भास्कर जाधव को उनकी पार्टी ने विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद के लिए नामित किया है, लेकिन विधानसभाध्यक्ष द्वारा कैबिनेट स्तर की इस नियुक्ति पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। शिवसेना (यूबीटी) 20 विधायकों के साथ निचले सदन में सबसे बड़ा विपक्षी दल है।
पूर्व में, जाधव ने राज्य विधानमंडल को पत्र लिखकर जानना चाहा था कि क्या ऐसा कोई नियम है जो यह अनिवार्य करता हो कि विपक्ष के नेता के पद पर दावा करने के लिए किसी विपक्षी दल के पास विधानसभा की कुल संख्या का 10 प्रतिशत (288 में से 29 सीट) होना चाहिए।
पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव में विपक्ष की करारी हार के बाद, कोई भी पार्टी कुल 288 सीट में से 10 प्रतिशत सीट नहीं जीत सकी।
शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अंबादास दानवे का विधान परिषद में विपक्ष के नेता के तौर पर कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो गया था। कांग्रेस ने अपने एमएलसी सतेज पाटिल को उच्च सदन में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त करने के लिए नामित किया है।
राज्य विधान परिषद के सभापति राम शिंदे ने रविवार को कहा कि उनके कार्यालय को विपक्ष के नेता की नियुक्ति का प्रस्ताव मिला है और हितधारकों के साथ बातचीत के बाद निर्णय लिया जाएगा।
भाषा अमित दिलीप
दिलीप