बम्बई उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त जमानत दी |

बम्बई उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त जमानत दी

बम्बई उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त जमानत दी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:05 PM IST, Published Date : October 17, 2022/3:09 pm IST

मुंबई, 17 अक्टूबर (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक मामले में 26-वर्षीय व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दी है कि अगर पीड़िता का एक साल के भीतर पता चल जाएगा तो व्यक्ति को उससे शादी करनी होगी।

दरअसल, पीड़िता पिछले एक साल से लापता है।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने 12 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में कहा कि व्यक्ति एक वर्ष के बाद इस शर्त के पालन के लिए बाध्य नहीं होगा।

अदालत ने कहा कि आरोपी और 22 वर्षीय युवती के बीच सहमति से संबंध बने थे। हालांकि, दुष्कर्म और धोखाधड़ी का मामला तब दर्ज किया गया जब युवती के गर्भवती हो जाने के बाद आरोपी ने उससे दूरियां बनाना शुरू कर दिया।

पीड़िता द्वारा फरवरी 2020 में आरोपी के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में युवती ने दावा किया कि आरोपी के साथ 2018 से उसके रिश्ते थे, उनके परिवारों को भी इसकी जानकारी थी और उन्हें रिश्ता मंजूर था।

वर्ष 2019 में युवती को पता चला कि वह गर्भवती है और उसने आरोपी को इस बारे में जानकारी दी, लेकिन उसने पीड़िता से दूरी बना ली। युवती ने इसके बाद अपना घर छोड़ दिया क्योंकि वह इस बारे में परिवार को नहीं बताना चाहती थी।

युवती ने 27 जनवरी 2020 को शहर के एक अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। इसके बाद, 30 जनवरी को उसने बच्चे को एक बिल्डिंग के सामने छोड़ दिया। इस संबंध में युवती के खिलाफ एक अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

न्यायमूर्ति डांगरे ने अपने आदेश में कहा कि ‘‘न्याय की राह से उसके बचने का यह एक संभावित कारण हो सकता है।’’

आरोपी ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह युवती से शादी करने और बच्चे को अपनाने के लिए तैयार है।

हालांकि, पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि युवती का फिलहाल पता नहीं चल पाया है और बच्चे को बाल देखभाल केंद्र में भर्ती कराया गया था, जिसे किसी ने गोद ले लिया है।

अदालत ने कहा, ”ऐसी परिस्थितियों में जब घटना की सूचना मिली थी, पीड़िता बालिग थी और उसने कहा था दोनों के बीच संबंध सहमति से बने थे।”

न्यायमूर्ति डांगरे ने आदेश में कहा, ”मैं इस शर्त के अनुपालन के तहत आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित समझती हूं कि यदि एक साल के भीतर पीड़िता मिल जाती है तो व्यक्ति को उसके साथ शादी करनी होगी, लेकिन एक साल बाद वह विवाह के लिए बाध्य नहीं होगा।”

अदालत ने आरोपी को 25,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दी।

भाषा फाल्गुनी मनीषा

मनीषा

 

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