सड़क हादसे के पीड़ितों के परिजनों को 49.32 लाख रू का मुआवजा देने का आदेश |

सड़क हादसे के पीड़ितों के परिजनों को 49.32 लाख रू का मुआवजा देने का आदेश

सड़क हादसे के पीड़ितों के परिजनों को 49.32 लाख रू का मुआवजा देने का आदेश

:   Modified Date:  March 18, 2024 / 12:59 PM IST, Published Date : March 18, 2024/12:59 pm IST

ठाणे, 18 मार्च (भाषा) ठाणे मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2018 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए दो लोगों और पांच अन्य घायलों के परिवारों को 49.32 लाख रुपये का सामूहिक मुआवजा देने का आदेश दिया है।

सभी पीड़ित 22 दिसंबर, 2018 को शिरडी की ओर पैदल ही ‘साईं पालकी’ के साथ जा रहे थे और उसी दौरान ये हादसा हुआ था।

याचिकाकर्ताओं के वकील एस एम पवार ने न्यायाधिकरण को बताया कि सिन्नर-शिरडी रोड पर देवपुर फाटा के पास एक कार ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी।

इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई जबकि अन्य घायल हो गए थे।

एमएसीटी के अध्यक्ष और प्रधान जिला न्यायाधीश एसबी अग्रवाल ने सात मार्च को पारित आदेश में दो मृतकों के परिवारों और घायल हुए पांच अन्य व्यक्तियों से संबंधित मामले में कुल सात पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

आदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध करायी गयी।

न्यायाधिकरण ने कहा कि मुआवजे में 7.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष (दावा दाखिल करने की तारीख से) की दर से ब्याज भी शामिल है, जिसका शुरूआत में भुगतान पीड़ितों को टक्कर मारने वाले वाहन की बीमा कंपनी करेगी और बाद में यह उसके मालिक से वसूला जाएगा।

हादसे में मारे गए 19 वर्षीय अनिकेत दीपक मेहत्रे के माता-पिता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।

अनिकेत नौकरी करता था और उसे 30,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता था।

घटना में मारे गए एंड्रू एंथनी किनी (32) की मां और भाई को 16,82,800 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया। एंड्रू को 50,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता था।

न्यायाधिकरण ने यह भी निर्देश दिया कि मुआवजे की राशि का एक निश्चित हिस्सा एक निश्चित अवधि के लिए सावधि जमा में निवेश किया जाए और शेष दावेदारों को सौंप दिया जाए।

एमएसीटी ने पांच अन्य व्यक्तियों को हादसे में उनको लगी चोट और उनकी आजीविका पर प्रभाव के आधार पर 50,000 रुपये से चार लाख रुपये तक का मुआवजा देने का आदेश दिया।

न्यायाधिकरण ने अपने फैसले पर पहुंचते समय पुलिस शिकायतों सहित विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा, जो कार चालक की लापरवाही की ओर इशारा करते थे।

वाहन के बीमाकर्ता ने चालक के ‘लाइसेंस’ की वैधता और चालक के संभावित नशे में होने के आधार पर दावे का विरोध करने की कोशिश की थी।

भाषा

योगेश नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)