देवव्रत ने ‘मोदीज मिशन’ पुस्तक का विमोचन किया, कहा:प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत का मान बढ़ाया

देवव्रत ने 'मोदीज मिशन' पुस्तक का विमोचन किया, कहा:प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत का मान बढ़ाया

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  • Publish Date - October 24, 2025 / 10:56 PM IST,
    Updated On - October 24, 2025 / 10:56 PM IST

मुंबई, 24 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शुक्रवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व ने भारत और उसके लोगों की गरिमा दुनिया भर में बढ़ाई है।

देवव्रत ने वकील बर्जिस देसाई द्वारा लिखित पुस्तक ‘मोदीज मिशन’ के विमोचन समारोह में कहा, ‘‘जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी अपना रास्ता खुद बनाता है, वह सचमुच महान होता है और मोदी जी ने ठीक यही किया है।’’

उन्होंने कहा कि मोदी ने कई जटिल राष्ट्रीय मुद्दों को शांतिपूर्वक और बिना किसी विवाद के सुलझाया है तथा उनके नेतृत्व ने दुनिया भर में भारत और भारतीयों का सम्मान बढ़ाया है।

विमोचन समारोह राजभवन में आयोजित किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।

‘रूपा पब्लिकेशंस’ द्वारा प्रकाशित ‘मोदीज मिशन’ मोदी की यात्रा, चुनौतियों और भारत के विकास में उनके योगदान का एक गहन वृत्तांत प्रस्तुत करती है।

यह पुस्तक अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, माल एवं सेवा कर के कार्यान्वयन, विमुद्रीकरण और पारदर्शी शासन की दिशा में प्रयासों सहित प्रमुख नीतिगत निर्णयों का विश्लेषणात्मक विवरण प्रस्तुत करती है।

फडणवीस ने कहा कि यह पुस्तक प्रधानमंत्री मोदी के जीवन और दृष्टिकोण को विस्तार से प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि इसमें बताया गया है कि मोदी ने अपने मिशन को कैसे परिभाषित किया और उसे प्राप्त करने के लिए कैसे दृढ़ रहे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 2047 तक मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव रखी है।

फडणवीस के अनुसार, पुस्तक में कहा गया है कि ‘‘20वीं सदी महात्मा गांधी की थी, जबकि 21वीं सदी नरेन्द्र मोदी की है।’’

पुस्तक के लेखक देसाई ने कहा कि मोदी ने दृढ़ संकल्प और उद्देश्य के माध्यम से शुरुआती पूर्वाग्रहों और झूठे विमर्शों पर विजय प्राप्त की।

शिंदे ने कहा कि गलत सूचनाओं के इस दौर में, यह पुस्तक साहस और ईमानदारी के साथ सच्चाई को सामने लाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को प्रेरित करने के लिए इस पुस्तक की प्रेरक कहानियों को स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है।

भाषा सिम्मी संतोष

संतोष