धाराशिव होगा उस्मानाबाद का नया नाम, आठवीं शताब्दी से जुड़ा है शहर का इतिहास : विशेषज्ञ |

धाराशिव होगा उस्मानाबाद का नया नाम, आठवीं शताब्दी से जुड़ा है शहर का इतिहास : विशेषज्ञ

धाराशिव होगा उस्मानाबाद का नया नाम, आठवीं शताब्दी से जुड़ा है शहर का इतिहास : विशेषज्ञ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 PM IST, Published Date : July 1, 2022/7:05 pm IST

औरंगाबाद, एक जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के अंतिम फैसलों में से एक के तहत उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर ‘धाराशिव’ करना था।

एक स्थानीय इतिहासकार के मुताबिक इस शहर के लिए पहली बार 20वीं शताब्दी में उस्मानाबाद के नाम का उपयोग किया जाने लगा जबकि धाराशिव नाम का इतिहास आठवीं शताब्दी में सातवाहन वंश के शासन से जुड़ा हुआ है।

ठाकरे के बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से कुछ घंटे पहले राज्य मंत्रिमंडल ने औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर संभाजीनगर करने और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। कुछ लोगों द्वारा लंबे समय से यह मांग की जा रही थी।

दोनों शहर जो अब मध्य महाराष्ट्र में हैं, स्वतंत्रता से पहले हैदराबाद रियासत का हिस्सा हुआ करते थे। लेखक एवं इतिहासकार राज कुलकर्णी ने कहा कि निजाम के शासन के दौरान उस्मानाबाद गुलबर्ग प्रांत का एक प्रमुख शहर था। शहर के पास स्थित नालदुर्ग किला 1911 तक जिला मुख्यालय था।

कुलकर्णी ने कहा, ‘‘आर एस मोरवांचिकर की किताब ‘सातवाहन कालिन महाराष्ट्र’ (सातवाहन युग में महाराष्ट्र) के अनुसार तांबे के एक अभिलेख में ‘धाराशिव’ के पास भूमि का दान दर्ज है।’’ यह अभिलेख आठवीं शताब्दी का है।

उन्होंने कहा कि 11वीं शताब्दी में एक जैन संत द्वारा लिखित ‘करकंदचिरायु’ धाराशिव गुफाओं का उल्लेख करता है जो आज के उस्मानाबाद शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, अंबेजोगई (आज के बीड जिले में) शहर का नाम मोमिनाबाद रखा गया था। इसी तरह, धाराशिव को 1904 में अंतिम निजाम मीर उस्मान अली के सम्मान में उस्मानाबाद के रूप में नामित किया गया था, जिन्हें सातवें आसफजाह के रूप में भी जाना जाता था।’’

पहली बार 1937 में उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर धाराशिव रखने की मांग उठी थी। कुलकर्णी ने कहा कि हैदराबाद से प्रकाशित होने वाली मराठी पत्रिका ‘निजाम विजय’ में पाठकों की मांग को लेकर कई पत्र भी छपे थे।

भाषा रवि कांत नरेश

नरेश

 

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