मुंबई, 26 अगस्त (भाषा) एल्गार परिषद-माओवाद संबंध मामले में गिरफ्तार एक आरोपी को यहां की अदालत ने कारागार में यह कहते हुए लैपटॉप का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी कि मुकदमे से जुड़े दस्तावेजों का आकार बहुत बड़ा है।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) मामलों के विशेष न्यायाधीश सी. एस. बाविस्कर ने सोमवार को पारित एक आदेश में कहा कि आवेदक सागर गोरखे के लिए दस्तावेजों के कागजी स्वरूप को ले जाना और कारागार में उन्हें पढ़ना संभव नहीं होगा।
गोरखे ने लैपटॉप इस्तेमाल करने की अनुमति के लिए एक अर्जी दाखिल की थी।
एनआईए ने गोरखे की याचिका का विरोध नहीं किया और कहा कि एक अन्य आरोपी महेश राउत को भी पहले ही इसी तरह की अनुमति मिल चुकी है।
अदालत ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि कारागार के अधिकारियों ने गोरखे के आवेदन पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया।
एनआईए ने गोरखे और कई अन्य कार्यकर्ताओं को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) समूह का सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में ‘एल्गार परिषद’ में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुणे पुलिस ने दावा किया कि इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था और इन भाषणों की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की।
भाषा धीरज माधव
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