21वीं सदी में भी लड़कियों को वस्तु समझा जाता है…

21वीं सदी में भी लड़कियों को वस्तु समझा जाता है : Even in 21st century, girls are considered as objects.

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  • Publish Date - February 15, 2023 / 03:42 PM IST,
    Updated On - February 15, 2023 / 04:00 PM IST

मुंबई । बंबई उच्च न्यायालय ने एक साल की एक लड़की को ‘‘खरीदने’’ की आरोपी महिला को जमानत देते हुए कहा कि 21वीं सदी में भी लड़कियों को एक वस्तु की तरह इस्तेमाल करने और वित्तीय लाभ के लिए उन्हें माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने की घटनाएं हो रही हैं। न्यायमूर्ति एस एम मोदक की एकल पीठ ने पिछले साल महाराष्ट्र में सातारा पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई 45 वर्षीय अश्विनी बाबर की जमानत याचिका पर आठ फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, ‘नैतिकता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों’ के संदर्भ में यह बेहद आपत्तिजनक है कि एक साल की लड़की को उसकी मां ने ‘‘बेच’’ दिया।

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अदालत ने बाबर को 25,000 रुपये के मुचलके पर यह कहते हुए जमानत दे दी कि उसे जेल में रखने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मामले की सुनवाई जल्द शुरू नहीं होगी और उसके खुद दो छोटे बच्चे हैं तथा उनके कल्याण पर भी विचार करने की जरूरत है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामले में आरोपी बाबर और उसके पति ने एक साल की बच्ची को पैसे की सख्त जरूरत वाली बच्ची की मां को दिए गए कर्ज के बदले में खरीदा था। जब कर्ज चुकाए जाने के बावजूद आरोपी दंपती ने बच्ची को वापस करने से इनकार कर दिया, तो बच्ची की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। बाद में, बच्ची को उसकी मां को लौटा दिया गया।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘हम 21वीं सदी में हैं, अभी भी ऐसी घटनाएं होती हैं जिनमें लड़कियों को वस्तु समझा जाता है और उन्हें वित्तीय लाभ के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।’ अदालत ने कहा, ‘शब्द ‘बेचने’ का उपयोग करने में बहुत दर्द होता है, लेकिन जीवन की कठिन सच्चाई यह है कि बच्ची की मां ने उसे पैसे की जरूरत के कारण बेच दिया था।’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘उन्होंने (आरोपियों ने) मानवता के खिलाफ पाप किया है तथा फिर बेटी का संरक्षण लेने की हद तक चले गए और जब मां ने कर्ज चुका दिया तो उसे वापस करने से इनकार कर दिया।’

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