मुंबई, आठ दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र विधानमंडल के सोमवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान इस सत्र की ‘संक्षिप्त’ अवधि को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कांग्रेस नेता नाना पटोले के बीच विधानसभा में तीखी बहस देखी गई।
उपमुख्यमंत्री और वित्त विभाग का प्रभार संभाल रहे अजित पवार ने कार्यवाही शुरू होने पर जब कार्यसूची में सूचीबद्ध अनुपूरक मांगें पेश कीं, तो पटोले ने आपत्ति जताई और सत्र की अवधि का मुद्दा उठाया, जो 14 दिसंबर को समाप्त हो रही है। उन्होंने मांग की कि नागपुर समझौते के अनुसार इसे कम से कम दो सप्ताह तक बढ़ाया जाए।
पटोले ने आरोप लगाया कि सरकार विस्तृत चर्चा की अनुमति देने के बजाय पहले ही दिन अनुपूरक मांगों और विधेयकों को पेश करने की जल्दबाजी में है।
उन्होंने सदन में सवाल किया, ‘‘राज्य सरकार इतनी जल्दी में क्यों है?’’
इसपर हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि सत्र की अवधि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सर्वसम्मति से तय की गई थी।
हालांकि, यह बहस जब और तीखी हो गई, तब मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (विधायक) फडणवीस ने पटोले को याद दिलाया कि महा विकास आघाडी सरकार के कार्यकाल में जब वह विधानसभा अध्यक्ष थे, तब विधानमंडल की बैठक केवल तीन से चार दिनों के लिए हुई थी, जबकि अन्य राज्यों ने 20 दिनों तक के सत्र आयोजित किए थे।
फडणवीस ने कहा कि नागपुर में सबसे लंबा शीतकालीन सत्र उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान आयोजित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब आप (पटोले)विधानसभा अध्यक्ष थे, तब कोई भी सत्र लंबा नहीं चला। उन दिनों सत्रों की औसत अवधि 4-5 दिन होती थी। केवल मेरे कार्यकाल के दौरान ही नागपुर सत्र लंबी अवधि का रहा है।’’
उन्होंने कहा कि सत्र के पहले दिन सरकारी विधेयक और अनुपूरक मांगें पेश करना प्रक्रिया के अनुरूप है और अनुमोदन से पहले उन पर चर्चा हुई।
फडणवीस ने कहा कि सत्र की अवधि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता की घोषणा की संभावना को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि भविष्य में शीतकालीन सत्र उचित अवधि के लिए आयोजित किए जाएंगे।
भाषा धीरज दिलीप
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