हत्या के प्रयास और दंगा मामले में 10 लोग 19 साल बाद हुए बरी

हत्या के प्रयास और दंगा मामले में 10 लोग 19 साल बाद हुए बरी

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 11:55 AM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 11:55 AM IST

ठाणे, आठ दिसंबर (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगा करने और पुलिसकर्मियों की हत्या के प्रयास के 19 साल पुराने मामले में 10 आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों को अस्पष्ट और अपर्याप्त बताया।

कल्याण के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी आर अष्टूरकर ने एक दिसंबर को दिए गए अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप को संदेह से परे साबित नहीं कर सका।

आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन 30 नवंबर 2006 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के उल्हासनगर में उसी साल 28 नवंबर को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई एक ‘अप्रिय’ घटना के बाद हुआ था।

विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तथा पुलिसकर्मियों पर हमला किया।

पुलिस ने 14 लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास, दंगा और गैर-कानूनी रूप से भीड़ जमा करने सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

सुनवाई के दौरान चार आरोपियों की मौत हो जाने के कारण उनके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया था।

न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘कोई भी स्वतंत्र गवाह मौजूद नहीं है। लगभग 2,000 से 2,500 लोगों की भीड़ में आरोपियों की पहचान कैसे हुई, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है, क्योंकि कोई पहचान परेड आयोजित नहीं की गई थी।’

अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्य सामान्य और अस्पष्ट थे, जो आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

जिन लोगों को मामले में बरी किया गया है, उनमें किशोर ताराचंद पवार (ऑटोरिक्शा चालक), मिलिंद दामोदर निकम और नितिन रोहिदास भालेराव (दोनों गायक), पंकज सीताराम बाविस्कर तथा संजय धुडकू जाधव (व्यवसायी), परमेश्वर दिलीप बाविस्कर और संजय रतन निकम (मजदूर), विजय भारत तांबे (पेंटर), सुनील प्रह्लाद साकपाले (दर्जी), और एक निजी कंपनी में कार्यरत गौतम रामदास धीवरे शामिल हैं।

भाषा सुमित वैभव

वैभव