राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार कैसे खा गए गच्चा? यहां समझिए शह और मात का खेल
राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार कैसे खा गए गच्चा? यहां समझिए शह और मात का खेल! Maharashtra Chankaya Sharad Pawar
मुंबईः Maharashtra Chankaya Sharad Pawar महाराष्ट्र की सियासत में आज बड़ा उलटफेर देखने को मिला। एनसीपी नेता अजित पवार सहित नौ विधायकों ने शिंदे सरकार को अपना समर्थन दे दिया है। इसके बाद शिंदे सरकार में अजित पवार को डिप्टी सीमए बनाया गया है, साथ ही 9 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। इस झटके बाद अब शरद पवार के साथ 13 विधायक ही बचे हुए हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार खुद के घर में चल रहे खेला को कैसे नहीं भांप पाए? सवाल ये भी है कि रजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी शरद पवार कैसे गच्चा खा गए? क्या एनसीपी अब खत्म हो जाएगी? तो चलिए जानते हैं इन सवालों का जवाब।
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Maharashtra Chankaya Sharad Pawar देखा जाए तो इतना बड़ा खेला कर पाना कोई एक दिन या एक आदमी का काम नहीं हो सकता है। अजित पवार और एनसीपी विधायक रातों रात भाजपा के साथ नहीं आ सकते हैं। इसकी पटकथा लंबे समय से लिखी जा रही थी। लेकिन सवाल ये कि क्या शरद पवार ने इस बार कोई बड़ी चूक कर दी? क्या शरद पवार अपनी ही पार्टी में चल रही गतिविधियों को नहीं समझ पाए?
अब शरद पवार जैसे दिग्गज नेता की राजनीति पर सवाल उठाना तो गलत रहेगा, लेकिन ये माना जा सकता है कि उन्होंने कुछ ऐसे हिंट जरूर मिस कर दिए जिससे ये समझा जा सकता था कि अजित पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता। अजित पवार की बीजेपी को लेकर नजदीकियां, पीएम मोदी की उनकी तरफ से तारीफ होना, एक बार एनसीपी को धोखा देकर डिप्टी सीएम बनना, ये सभी वो संकेत थे जो बता रहे थे कि शरद को अब भतीजे अजित पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।
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साल 2019 में ही दे दिया झटका
शरद पवार को सबसे पहले हिंट तो साल 2019 में उस समय मिल गई थी जब अजित पवार ने 72 घंटे के लिए डिप्टी सीएम बनकर दिखाया था। असल में महाराष्ट्र के उस विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। पहले तो कहा गया कि शिवसेना के साथ मिलकर बीजेपी सरकार बना लेगी, लेकिन सीएम पद को लेकर ऐसा विवाद हुआ कि उद्धव ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया। वहीं दूसरी तरफ उस स्थिति से असहज होकर अजित ने सबसे बड़ा खेल करते हुए बीजेपी से हाथ मिला लिया। उनकी तरफ से डिप्टी सीएम की शपथ ली गई और सीएम बन गए देवेंद्र फडणवीस।
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लेकिन ये सरकार 72 घंटे में ही गिर गई क्योंकि अजित पवार ने दावे तो बड़े किए, लेकिन वे एनीसपी से पर्याप्त समर्थन नहीं जुटा पाए। अब शरद पवार के लिए ये सबसे पहली हिंट थी कि अजित अब भरोसे के लायक नहीं। लेकिन हुआ इसके एकदम उलट। शरद पवार ने अजित को वापस स्वीकार भी किया और फिर बाद में उन्हें डिप्टी सीएम का पद भी दिलवा दिया।
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ऐसे हुआ एनसीपी में दो फाड़
इस साल की शुरुआत में ऐसी अटकलों ने काफी जोर पकड़ा कि अजित पवार, बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, या फिर उनकी तरफ से एनसीपी में दो फाड़ किया जा सकता है। राजनीतिक गलियारों में ये खबर तेजी से फैल चुकी थी, लेकिन शरद पवार ने कहा कि ये सब मीडिया वाले अफवाह फैला रहे हैं। एक बयान में शरद पवार ने कहा था कि अजित तो काफी मेहनती हैं, उनको लेकर कई गलत धारणाएं बना लसी गई हैं। मेरे भतीजे को लेकर भ्रम का माहौल बनाया जा रहा है। यानी कि अजित तो खेल करने के लिए रेडी थे, लेकिन शरद का चाचा वाला प्यार उसे शायद समझ नहीं पाया।
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